क्या पाकिस्तान में 'जिया' दौर को वापस लाने की तैयारी है?
सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान के संविधान में बड़ा बदलाव
- मुनीर की शक्ति में वृद्धि
- जियाउल हक के खौफनाक दौर की वापसी
- संविधान संशोधन की प्रक्रिया
- संसद में आवश्यक बहुमत
नई दिल्ली, 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान में भले ही जम्हूरियत की बातें होती हों, लेकिन असली शक्ति सेना और आईएसआई के हाथों में होती है। यह एक बार फिर से दुनिया के सामने स्पष्ट हुआ है। पाकिस्तान में एक नया संविधान संशोधन होने जा रहा है, जिससे मुनीर की शक्ति और बढ़ने वाली है। इस घोषणा के साथ ही यह साबित हो गया है कि पाकिस्तानी सेना को अपने आवाम से कोई सरोकार नहीं है; उसे केवल ताकत चाहिए, चाहे इसकी कीमत कुछ भी हो।
यदि यह संशोधन पारित हो जाता है, तो पाकिस्तान का सुप्रीम कमांडर मुनीर होगा। इसके साथ ही, पाकिस्तान एक बार फिर से 50 साल पीछे के खौफनाक दौर में लौट जाएगा, जब जियाउल हक का राज था। जियाउल हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो का तख्तापलट किया था। इस दौरान पाकिस्तान कट्टरता और सैन्य हिंसा की आग में झुलसता गया और आज तक इससे उबर नहीं पाया है।
आसानी से कहा जा सकता है कि पाकिस्तान सरकार अपने संविधान में एक बड़ा बदलाव करने जा रही है। इस बदलाव के साथ ही पाकिस्तानी सेना के प्रमुख असीम मुनीर की शक्ति बढ़ने वाली है। पाकिस्तान सरकार अपने संविधान में 27वां संशोधन लाने की तैयारी कर रही है। इस पर पाकिस्तानी संसद में इस हफ्ते मतदान होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 243 में बदलाव किया जाएगा। इससे मुनीर और अधिक शक्तिशाली हो जाएगा। पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर थल, जल और वायु सेना का चीफ बन जाएगा। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान में न्यूक्लियर हथियारों की चाबी मुनीर के हाथों में होगी।
27वें संशोधन में ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) के अध्यक्ष पद को समाप्त करके और उसकी जगह एक नए शक्तिशाली पद, रक्षा बलों के प्रमुख (सीडीएफ), को लाया जाएगा। सीडीएफ का पद सेनाध्यक्ष, यानी कि मुनीर, के पास होगा।
पाकिस्तान में संविधान संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। इसलिए जब यह विधेयक 96 सदस्यीय सीनेट में मतदान के लिए रखा जाएगा, तो इसे कम से कम 64 सीनेटरों के समर्थन की आवश्यकता होगी।
सत्तारूढ़ गठबंधन के पास सीनेट में 65 वोट हैं, जिनमें पीपीपी के 26, पीएमएल-एन के 20, बलूचिस्तान अवामी पार्टी के 4, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के 3, अवामी नेशनल पार्टी के 3, नेशनल पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद के 1-1 और 7 स्वतंत्र सांसदों के वोट शामिल हैं।
पाकिस्तानी मीडिया डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, भले ही सत्तारूढ़ दल के पास 65 वोट हैं, लेकिन फिर भी इससे संशोधन को मंजूरी मिलने की कोई गारंटी नहीं है। इसमें सीनेट अध्यक्ष गिलानी का वोट भी शामिल है, और अध्यक्ष होने के नाते वह वोट नहीं डाल सकते। इसके अलावा, पीएमएल-एन के इरफान सिद्दीकी अस्पताल में भर्ती हैं, इसलिए उनके वोट को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता।
336 सदस्यीय नेशनल असेंबली में, सत्तारूढ़ गठबंधन को दो-तिहाई बहुमत प्राप्त है। इसके 233 सदस्य हैं, जबकि विपक्ष के पास 103 सदस्य हैं। गठबंधन के भीतर, पीएमएल-एन के पास 125 सीटें, पीपीपी के पास 74, एमक्यूएम-पी के पास 22, पीएमएल-क्यू के पास 5, इस्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी के पास 4, और पीएमएल-जेड, बलूचिस्तान अवामी पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी के पास 1-1 सीटें हैं।