क्या पाकिस्तान में कट्टरपंथियों ने अहमदिया उपासना स्थलों को आग के हवाले किया?

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क्या पाकिस्तान में कट्टरपंथियों ने अहमदिया उपासना स्थलों को आग के हवाले किया?

सारांश

पाकिस्तान के फैसलाबाद में स्वतंत्रता दिवस पर कट्टरपंथियों ने अहमदिया उपासना स्थलों को आग के हवाले कर दिया। यह घटना नफरत भरे भाषणों के बीच हुई और अधिकारियों की चुप्पी से सवाल उठते हैं कि क्या प्रशासन इस हिंसा को रोकने में सक्षम है। जानें पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • कट्टरपंथी हमले का बढ़ता खतरा
  • अहमदिया समुदाय पर लगातार हमले
  • पुलिस की चुप्पी और प्रशासनिक लापरवाही
  • मानवाधिकार आयोग की चेतावनी
  • सुनियोजित आतंकी कार्रवाई की पहचान

इस्लामाबाद, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमलों की कड़ी निंदा करते हुए ‘वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी’ (वीओपीएम) ने सोमवार को कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर कट्टरपंथियों ने नफरत का नंगा नाच किया। पंजाब प्रांत के फैसलाबाद जिले के दिजकोट क्षेत्र में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के नेताओं के नेतृत्व में एक भीड़ ने दो अहमदिया उपासना स्थलों में आग लगा दी।

वीओपीएम ने कहा कि पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सैकड़ों हमलावर ईंट-पत्थर और डंडों से लैस होकर अहमदिया समुदाय पर टूट पड़े। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 300 लोगों की भीड़ ने जुलूस की आड़ में अहमदिया उपासना स्थलों को निशाना बनाया। दशकों पुराने इन स्थलों की मीनारों को ध्वस्त किया गया, नफरत भरे भाषण दिए गए और इमारतों को आग के हवाले कर दिया गया। हमलावरों ने आस-पास के अहमदिया घरों पर भी पथराव किया।

इस घटना से महिलाओं और बच्चों सहित कई परिवार दहशत में आ गए और कुछ लोग घायल भी हुए। वीओपीएम ने दावा किया कि हमले का नेतृत्व टीएलपी के टिकटधारी हाफिज रफाकत ने किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान की राजनीति में सक्रिय कट्टरपंथी संगठन खुलेआम हिंसा को बढ़ावा देते हैं और उन्हें राजनीतिक-न्यायिक संरक्षण प्राप्त है।

अधिकार समूह ने कहा, “यह कोई आकस्मिक दंगा नहीं बल्कि सुनियोजित आतंकी कार्रवाई थी। भले ही इस पर आतंकवाद-निरोधक कानून और पाकिस्तान दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हों, लेकिन इतिहास गवाह है कि ऐसे मामलों में शायद ही कभी वास्तविक न्याय मिलता है।”

वीओपीएम ने यह भी बताया कि घटना से एक दिन पहले पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने गैर-मुसलमानों के खिलाफ उभरती नफरत भरी भाषणबाजी को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज कर दिया। पुलिस ने 25 गिरफ्तारियां कीं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि इनमें नामजद आरोपी शामिल हैं या नहीं।

संस्था ने कहा कि फैसलाबाद पुलिस प्रमुख की चुप्पी दर्शाती है कि प्रशासन चरमपंथ का सीधा मुकाबला करने से कतरा रहा है। अहमदिया और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस तरह की घटनाएं कोई नई नहीं हैं, बल्कि दशकों से जारी संगठित अभियान का हिस्सा हैं।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि इस प्रकार की घटनाएं हमारे समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय हैं। हमें धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने और सभी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता है। प्रशासन को इस प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
NationPress
18/08/2025

Frequently Asked Questions

अहमदिया समुदाय पर हमले का कारण क्या था?
हमला कट्टरपंथी समूहों द्वारा धार्मिक नफरत के चलते किया गया।
क्या प्रशासन ने इस घटना के खिलाफ कार्रवाई की है?
पुलिस ने 25 लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन स्पष्टता नहीं दी गई।
वीओपीएम का इस घटना पर क्या कहना है?
वीओपीएम ने इसे सुनियोजित आतंकी कार्रवाई बताया।
क्या ऐसे हमले पाकिस्तान में आम हैं?
हाँ, यह दशकों से जारी संगठित अभियान का हिस्सा हैं।
क्या प्रशासन को इस पर कोई कदम उठाना चाहिए?
जी हाँ, प्रशासन को इस प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।