क्या भारत की सोच और नीति 'सिक्यूरिटी, कनेक्टिविटी और ऑपर्च्युनिटी' पर आधारित है? : पीएम मोदी

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क्या भारत की सोच और नीति 'सिक्यूरिटी, कनेक्टिविटी और ऑपर्च्युनिटी' पर आधारित है? : पीएम मोदी

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तियानजिन में आयोजित एससीओ सम्मेलन में भारत की नीति की बात की। उन्होंने भारत की नीति को 'सिक्यूरिटी, कनेक्टिविटी और ऑपर्च्युनिटी' के तीन स्तंभों पर आधारित बताया। यह सम्मेलन भारत-चीन संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है।

Key Takeaways

  • भारत की नीति 'सिक्यूरिटी, कनेक्टिविटी और ऑपर्च्युनिटी' पर आधारित है।
  • एससीओ के माध्यम से आतंकवाद और अलगाववाद जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा।
  • सम्मेलन में भागीदारी से भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
  • चीन की मेजबानी में यह सम्मेलन आयोजित हुआ है।
  • यह सम्मेलन भारत-चीन संबंधों को सुधारने का एक अवसर है।

तियानजिन, १ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में भारत की सोच और नीति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत की सोच और नीति ‘एस - सिक्यूरिटी, सी - कनेक्टिविटी और ओ - ऑपर्च्युनिटी’ पर आधारित है।

पीएम मोदी ने एससीओ बैठक में कहा, "मैं एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेकर बहुत खुश हूं। मैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग को हमारे भव्य स्वागत के लिए धन्यवाद देता हूं। आज उज्बेकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है। मैं उन्हें भी बधाई देता हूं।"

उन्होंने एससीओ का जिक्र करते हुए कहा, "भारत ने एससीओ के सदस्य के रूप में बहुत सकारात्मक भूमिका निभाई है। एससीओ के लिए भारत की दृष्टि और नीति तीन महत्वपूर्ण स्तंभों पर आधारित है, जिसमें एस - सिक्यूरिटी, सी - कनेक्टिविटी और ओ - ऑपर्च्युनिटी शामिल हैं।"

उन्होंने कहा, "पहला स्तंभ सुरक्षा है। सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश की प्रगति और विकास का आधार हैं। लेकिन, आतंकवाद और अलगाववाद जैसे बड़े खतरे इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधा डालते हैं। आतंकवाद न केवल अलग-अलग देशों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह पूरे मानवता के लिए एक गंभीर चुनौती है।"

इसके अतिरिक्त, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सोमवार को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की।

इस दौरान उन्होंने सदस्य देशों को संबोधित करते हुए संगठन की प्रगति और भविष्य की दिशा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एससीओ ने अपने विकास और सहयोग में ऐतिहासिक सफलताएं हासिल की हैं, जो इसकी ताकत को दर्शाती हैं।

इससे पहले, पीएम मोदी ने फोटो सेशन से जुड़ी तस्वीर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया था। उन्होंने लिखा, "तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन में।"

जानकारी के अनुसार, एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी इस वर्ष चीन कर रहा है। इस समूह में आठ सदस्य देश शामिल हैं और इसका फोकस यूरेशियाई क्षेत्र में राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है। यह पहला अवसर है, जब प्रधानमंत्री मोदी सात वर्षों बाद चीन पहुंचे हैं, जो भारत और चीन के बीच 2020 के सीमा विवाद के बाद जटिल द्विपक्षीय संबंधों के बीच विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि भारत अपनी सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसरों पर ध्यान केंद्रित करे। एससीओ जैसे मंचों पर भागीदारी से भारत को न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा में बल्कि आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी।
NationPress
01/09/2025

Frequently Asked Questions

प्रधानमंत्री मोदी ने किस सम्मेलन में भाग लिया?
प्रधानमंत्री मोदी ने तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में भाग लिया।
भारत की नीति का आधार क्या है?
भारत की नीति 'सिक्यूरिटी, कनेक्टिविटी और ऑपर्च्युनिटी' पर आधारित है।
एससीओ सम्मेलन का क्या महत्व है?
एससीओ सम्मेलन भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है।