क्या एससीओ समिट में नेपाल के पीएम ओली ने पुतिन से महत्वपूर्ण चर्चा की?

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क्या एससीओ समिट में नेपाल के पीएम ओली ने पुतिन से महत्वपूर्ण चर्चा की?

सारांश

नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई। इस महत्वपूर्ण चर्चा में नेपाल-रूस संबंधों को मजबूत करने के मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। जानिए इस बैठक की महत्वपूर्ण बातें और एससीओ समिट के अन्य पहलुओं के बारे में!

Key Takeaways

  • नेपाल और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हुई।
  • सांस्कृतिक और व्यापार सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
  • नेपाल के पीएम ओली ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की।
  • लिपुलेख दर्रे पर भारत-चीन समझौते पर आपत्ति दर्ज की गई।
  • एससीओ की भूमिका क्षेत्रीय स्थिरता में महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। चीन की मेज़बानी में आयोजित दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्ष सम्मिलित हुए। इस दौरान सोमवार को नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक सफलतापूर्वक संपन्न हुई। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने इस मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि की।

नेपाल के विदेश मंत्रालय ने 'एक्स' पर एक पोस्ट साझा कर चीन के तियानजिन शहर में रूस और नेपाल के बीच द्विपक्षीय बैठक की पुष्टि की। मंत्रालय ने लिखा, "प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने सोमवार को तियानजिन में रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों नेताओं ने नेपाल-रूस संबंधों को और अधिक मजबूत करने के साथ-साथ संस्कृति, व्यापार और निवेश क्षेत्रों में पारस्परिक लाभकारी सहयोग को बढ़ावा देने संबंधी मुद्दों पर चर्चा की।"

इससे पहले रविवार को के.पी. ओली ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने नेपाल और चीन के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को सुदृढ़ करने पर सहमति व्यक्त की थी। इसके साथ ही उन्होंने लिपुलेख दर्रे को व्यापार मार्ग के रूप में विकसित करने के भारत-चीन समझौते पर कड़ी आपत्ति भी जताई थी।

ओली ने 'एक्स' पर पोस्ट करके बताया, "चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक की और विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। बैठक के दौरान, लिपुलेख दर्रे को व्यापार मार्ग के रूप में विकसित करने के भारत-चीन समझौते पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की।"

गौरतलब है कि एससीओ एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई में हुई थी। इसके सदस्य देशों में चीन, रूस, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं।

एससीओ के दो पर्यवेक्षक अफगानिस्तान और मंगोलिया हैं, जबकि इसके 14 संवाद साझेदार देशों में तुर्की, कुवैत, अजरबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया और नेपाल शामिल हैं। इसी तरह, श्रीलंका, सऊदी अरब, मिस्र, कतर, बहरीन, मालदीव, म्यांमार और संयुक्त अरब अमीरात भी एससीओ के संवाद साझेदार देशों में शामिल हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि नेपाल और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। इन मुलाकातों से न केवल द्विपक्षीय सहयोग बढ़ेगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता भी सुनिश्चित होगी। हमें यह समझना होगा कि वैश्विक राजनीति में नेपाल की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
NationPress
01/09/2025

Frequently Asked Questions

एससीओ समिट में किन देशों के नेता शामिल हुए?
एससीओ समिट में चीन, रूस, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, ईरान, और बेलारूस के नेता शामिल हुए।
नेपाल के पीएम ओली ने किससे मुलाकात की?
नेपाल के पीएम ओली ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की।
लिपुलेख दर्रे पर ओली ने क्या कहा?
ओली ने लिपुलेख दर्रे को व्यापार मार्ग के रूप में विकसित करने के भारत-चीन समझौते पर कड़ी आपत्ति जताई।