क्या पाकिस्तान के हुक्मरान नालियों की सफाई नहीं कर पा रहे? मानसून के बीच जनता की समस्या गंभीर

सारांश
Key Takeaways
- सिंध के नालियों की सफाई में प्रशासन की असफलता
- मानसून से पहले की तैयारी की कमी
- स्थानीय जनता की चिंताएं
- फर्जी बिलिंग की समस्या
- सरकारी अनुदान का गलत उपयोग
सिंध, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार नालियों, सीवर लाइनों और गटरों की सफाई करने में असफल रही है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सिंध सरकार ने सफाई के लिए कोई उचित कदम नहीं उठाए, जिसके चलते कई इलाके अब भी जाम हैं। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि सिंध प्रांत में 15 जुलाई को मानसून आएगा।
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, सिंध के हैदराबाद में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में मुख्य नालियां कचरे से भरी हुई हैं और नालियों के किनारे की टूटी या गायब दीवारें ठीक नहीं की गई हैं। इस कारण स्थानीय जनता बेहद चिंतित है।
मौसम विभाग ने सिंध सरकार को बारिश की चेतावनी दी थी, जिसके बाद उच्च-स्तरीय बैठकों में आयुक्तों, उपायुक्तों और स्थानीय नगर निकायों को शहरी बाढ़ की संभावना के लिए तैयारियों के निर्देश दिए गए थे।
इससे पहले, सिंध स्थानीय निकाय विभाग ने 10 जुलाई को हैदराबाद नगर निगम सहित कई नगर निगमों को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया, लेकिन 48 घंटे बीतने के बाद भी कोई तैयारी जमीन पर शुरू नहीं हुई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, शहर की प्रमुख नालियां, जैसे लियाकत कॉलोनी और सत्तार शाह कब्रिस्तान से मेमेंट अस्पताल चौक और टंडो यूसुफ तक की नाली कचरे से बुरी तरह जाम हैं।
इसके अलावा, कुछ इलाकों में स्थित नालियों के ऊपर कचरा जमा हो गया है, जिससे वहां से गुजरने वाले बच्चों के लिए भी खतरा बढ़ गया है।
इतना ही नहीं, कई जगहों पर नाली का पानी सड़क के स्तर तक पहुंच जाता है, जिसके कारण पहले भी कई वाहन और बच्चे इसमें गिर चुके हैं। मई में एक सात साल के लड़के राहील अफजल की खुले नाले में गिरकर मौत हो गई थी।
पिछले महीने जानी शाह मोहल्ला इलाके में दो लड़कियों (10 साल की रबील और 8 साल की परिशा) की खुले नाले में गिरने से मौत हो गई थी।
त्रस्त लोगों का कहना है कि बार-बार होने वाली त्रासदियों के बावजूद न तो हैदराबाद प्रशासन, न ही नगर निगम, और न ही संबंधित टाउन म्यूनिसिपल प्रशासनों (टीएमए) ने इन खतरनाक नालियों के किनारे टूटी सुरक्षात्मक दीवारों को ठीक करने के लिए कोई कदम उठाया है।
सरकार से हर महीने 12 लाख रुपए अनुदान मिलने के बावजूद संबंधित यूनियन समितियों ने इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया। वेतन और बिजली बिलों के भुगतान के बाद भी नाली रखरखाव जैसे आवश्यक सामुदायिक कार्यों के लिए यह राशि उपयोग नहीं की गई।
विडंबना यह है कि हर साल सिंध सरकार और स्थानीय निकाय आपातकालीन बैठकें करते हैं और बारिश की तैयारी योजनाएं बनाते हैं, जिसके लिए बजट में लाखों रुपए आवंटित किए जाते हैं। हालाँकि, वास्तव में एक भी नाले की पूरी तरह से सफाई नहीं की गई और हर साल नालों की सफाई के नाम पर फर्जी बिल भी बनाए जाते हैं।