क्या दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ह्युन जापान और अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं?

सारांश
Key Takeaways
- चो ह्युन की जापान और अमेरिका यात्रा महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ताओं का अवसर है।
- इस यात्रा में टैरिफ वार्ताएं प्राथमिकता होगी।
- दक्षिण कोरिया की निर्यात-निर्भर अर्थव्यवस्था को बचाने का प्रयास।
- उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे पर चर्चा की जाएगी।
- यह चो की विदेश मंत्री बनने के बाद पहली द्विपक्षीय मुलाकात है।
सियोल, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ह्युन इस सप्ताह जापान और अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं, जहां वे दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। यह जानकारी सोमवार को सियोल के विदेश मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई।
मंत्रालय के अनुसार, चो मंगलवार से जापान की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे, जहां वे जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया से व्यक्तिगत बैठक करेंगे। इसके बाद, वे शुक्रवार (अमेरिकी समयानुसार) को वाशिंगटन डी.सी. पहुंचेंगे और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात करेंगे।
जापानी समकक्ष के साथ बातचीत के बाद दोनों नेताओं के बीच एक वर्किंग डिनर भी आयोजित होगा। यह चो की विदेश मंत्री बनने के बाद जापान और अमेरिका के साथ उनकी पहली द्विपक्षीय मुलाकात होगी।
चो की यह द्विपक्षीय यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के साथ दक्षिण कोरिया की टैरिफ वार्ताएं 1 अगस्त की समयसीमा से ठीक पहले निर्णायक मोड़ पर हैं। अगर इस समय सीमा तक कोई व्यापार समझौता नहीं होता है, तो दक्षिण कोरियाई उत्पादों पर 25 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ और सेक्टोरल ड्यूटी लग सकती है।
दक्षिण कोरिया के शीर्ष अधिकारी इन भारी शुल्कों को कम करने और देश की निर्यात-निर्भर अर्थव्यवस्था पर उनके प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए एक समझौते की कोशिशों में जुटे हुए हैं।
टोक्यो में चो की बातचीत का एक महत्वपूर्ण विषय अमेरिकी टैरिफ पर जापान के साथ राय साझा करना भी होगा, क्योंकि जापान ने हाल ही में ट्रंप प्रशासन के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत, अमेरिका जापानी उत्पादों पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा, जो पहले घोषित दर से 10 प्रतिशत कम है। साथ ही, जापान ने 550 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के जरिए अमेरिका के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने का वादा किया है।
टैरिफ के अलावा, चो और इवाया के बीच उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल खतरे जैसे साझा सुरक्षा मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और अमेरिका के साथ त्रिपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने पर भी जोर देंगे।