क्या ताइवान पर जापानी पीएम की टिप्पणी से चीन की प्रतिक्रिया यूएन तक पहुंच गई?

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क्या ताइवान पर जापानी पीएम की टिप्पणी से चीन की प्रतिक्रिया यूएन तक पहुंच गई?

सारांश

जापानी पीएम साने ताकाइची की ताइवान पर की गई टिप्पणी ने चीन का विरोध उत्तेजित किया है। चीन ने इस मुद्दे पर यूएन महासचिव को एक औपचारिक पत्र भेजा है, जिसमें ताइवान पर जापान के दखल के खिलाफ कड़ा विरोध व्यक्त किया गया है। क्या यह विवाद और बढ़ेगा?

Key Takeaways

  • ताइवान पर जापानी पीएम की टिप्पणी ने चीन का विरोध बढ़ा दिया है।
  • चीन ने यूएन महासचिव को एक पत्र भेजा है।
  • यह विवाद ताइवान के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
  • चीन का मानना है कि ताइवान उसके क्षेत्र का हिस्सा है।
  • जापान ने ताइवान पर सैन्य दखल की धमकी दी है।

बीजिंग, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ताइवान के संदर्भ में जापानी पीएम साने ताकाइची की टिप्पणी और उसके प्रति चीन का विरोध अब संयुक्त राष्ट्र की दहलीज पर पहुंच चुका है। संयुक्त राष्ट्र में चीनी राजदूत फू कांग ने अपनी बात एक औपचारिक खत के माध्यम से महासचिव एंटोनियो गुटेरेस तक पहुंचाई है।

ताकाइची ने 7 नवंबर को डाइट बैठक में यह दावा किया था कि चीन का "ताइवान पर ताकत का इस्तेमाल" जापान के "अस्तित्व के लिए खतरे" का कारण बन सकता है।

इसके बाद से ही दोनों के बीच गतिरोध जारी है। चीन ने उनसे (ताकाइची) अपना बयान वापस लेने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इससे मना कर दिया। बीजिंग का मानना है कि ताकाइची का यह इनकार हथियारबंद दखल के खतरे को बढ़ाता है।

ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, फू ने पत्र में कहा कि 1945 में जापान के आत्मसमर्पण के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी जापानी नेता ने ऐसा भड़काऊ बयान दिया है। यह पहली बार है जब किसी आधिकारिक मौके पर ताइवान पर काल्पनिक स्थितियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया और इसे सामूहिक आत्मरक्षा के अधिकारों के इस्तेमाल से जोड़ा गया है। यह पहला मौका है जब जापान ने ताइवान के मुद्दे पर हथियारबंद दखल की इच्छा जताई है और चीन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की धमकी दी है, जो चीन के हितों को खुली चुनौती देती है। ऐसी बातें अत्यंत गलत और खतरनाक हैं।

यह पत्र यूएन महासभा के आधिकारिक दस्तावेज के रूप में जारी किया जाएगा और सभी सदस्य देशों में वितरित किया जाएगा।

पत्र में, फू ने कहा कि चीन के बार-बार गंभीर विरोध और कड़े विरोध के बावजूद, जापान ने कोई पछतावा नहीं दिखाया है और अपने गलत बयानों को वापस लेने से मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि चीन इस पर बहुत नाराज है और इसका कड़ा विरोध करता है।

फू का मानना है कि ताकाइची की ये बातें अंतर्राष्ट्रीय कानून और रिश्तों को चलाने वाले बुनियादी नियमों का गंभीर उल्लंघन करती हैं, और युद्ध के बाद बने विश्व व्यवस्था को कमजोर करती हैं। यह 1.4 बिलियन से ज्यादा चीनियों और एशियाई देशों के लोगों को खुले तौर पर उकसाता है।

राजदूत फू ने दोहराया कि ताइवान चीन के क्षेत्र का एक ऐसा हिस्सा है जिसे अलग नहीं किया जा सकता, और ताइवान के मुद्दे को सुलझाने का तरीका चीन का आंतरिक मामला है, जिसमें किसी बाहरी दखल की इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि जापान ताइवान स्ट्रेट्स में हथियारबंद दखल देने की कोशिश करता है, तो यह हमला माना जाएगा, और चीन यूएन चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मरक्षा के अधिकार का पूरी तरह से इस्तेमाल करेगा और अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की मजबूती से रक्षा करेगा।

इससे पहले, चीनी राजदूत ने मंगलवार (18 नवंबर) को ताइवान पर ताकाइची की बातों की आलोचना करते हुए कहा था कि "वे चीन के आंतरिक मामलों में बहुत बड़ा दखल हैं और एक-चीन सिद्धांत और चीन और जापान के बीच चार राजनीतिक दस्तावेजों की भावना का गंभीर उल्लंघन हैं।"

फू ने यह भी कहा था कि जापान यूएनएससी में स्थायी सीट पाने के काबिल नहीं है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि ताइवान का मुद्दा न केवल चीन और जापान के बीच संबंधों को प्रभावित करता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। चीन का विरोध और जापान का दखल दोनों ही वैश्विक स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

जापानी पीएम ने ताइवान पर क्या टिप्पणी की?
जापानी पीएम साने ताकाइची ने कहा कि चीन का 'ताइवान पर ताकत का इस्तेमाल' जापान के 'अस्तित्व के लिए खतरे' का कारण बन सकता है।
चीन ने इस टिप्पणी पर क्या प्रतिक्रिया दी?
चीन ने यूएन महासचिव को पत्र लिखकर इस टिप्पणी का विरोध किया और जापान से अपना बयान वापस लेने की मांग की।
क्या ताइवान चीन का हिस्सा है?
चीन का मानना है कि ताइवान उसके क्षेत्र का एक हिस्सा है और इसे अलग नहीं किया जा सकता।
यूएन में इस पत्र का क्या महत्व है?
यह पत्र यूएन महासभा के आधिकारिक दस्तावेज के रूप में जारी किया जाएगा और सभी सदस्य देशों में वितरित किया जाएगा।
क्या जापान यूएन में स्थायी सीट पाने के योग्य है?
चीन का मानना है कि जापान यूएनएससी में स्थायी सीट पाने के काबिल नहीं है।
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