क्या ट्रंप और सऊदी गठबंधन ऊर्जा, निवेश और कूटनीति में बड़े बदलाव का संकेत है?
सारांश
Key Takeaways
- ट्रंप और सऊदी अरब का नया गठबंधन
- 1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश
- एआई और टेक सेक्टर पर ध्यान केंद्रित
- ग्लोबल पॉलिटिक्स में बदलाव
- ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। व्हाइट हाउस में आयोजित एक रॉयल डिनर में कई प्रमुख हस्तियों का जमावड़ा हुआ। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सम्मान में इस आयोजन का आयोजन किया। इस मौके पर टेस्ला के मालिक एलन मस्क, ब्लैकस्टोन के स्टीव श्वार्जमैन, फुटबॉलर रोनाल्डो, एनवीडिया के सीईओ अरबपति जेंसेन हुआंग, और एएमडी की सीईओ लिसा सू जैसी नामी शख्सियतें भी शामिल थीं।
यह स्थिति दर्शाती है कि ट्रंप से जुड़े प्रभावशाली निवेशक, टेक क्षेत्र के दिग्गज और सऊदी अरब जैसी शक्तियां एक बार फिर एक मंच पर हैं। यह केवल एक कारोबारी समीकरण नहीं है, बल्कि एक नए युग का संकेत है जहां अमेरिकी शक्ति, वैश्विक पूंजी और उभरते तकनीकी साम्राज्य एक-दूसरे के हितों को मजबूती से संलग्न कर रहे हैं।
डिनर के बाद, बुधवार को यूएस और सऊदी अरब के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि डोनाल्ड ट्रंप अपने आर्थिक एजेंडे को पूरा करने के लिए टेक सेक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
क्राउन प्रिंस ने यूएस कंपनियों में 1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश करने का वादा किया है, जो मुख्य रूप से सऊदी अरब के तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार का उपयोग करके अपने देश को एआई डेटा हब बनाने के लिए है।
बुधवार को यूएस-सऊदी निवेश फोरम में ट्रंप ने कहा, "हम इस कमरे में मौजूद दोस्तों और भागीदारों के साथ मिलकर दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे शक्तिशाली और सबसे नवोन्मेषी एआई इकोसिस्टम बनाने के लिए काम करेंगे।"
केनेडी सेंटर में दर्शकों की पहली पंक्ति में एनवीडिया के सह-संस्थापक जेंसेन हुआंग और टेक अरबपति एलन मस्क उपस्थित थे।
बाद में एक बयान में, एलन मस्क की एक्सएआई और जेंसेन हुआंग की एनवीडिया ने सऊदी अरब की सरकारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फर्म के साथ साझेदारी करने की घोषणा की, जिसका लक्ष्य एक बड़ा एआई डेटा सेंटर बनाना है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सेंटर से 500 मेगावाट तक बिजली की खपत होने की उम्मीद है, जिससे यह यूएस के बाहर एक्सएआई की सबसे बड़ी साइट बन जाएगा।
एक्सएआई की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस डील के तहत, मस्क का एक्सएआई चैटबॉट, ग्रोक, पूरे सऊदी अरब में लगाया जाएगा।
इसी साल मई में क्राउन प्रिंस ने एक नई कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंपनी हुमैन लॉन्च की थी, जिसका उद्देश्य अरबी भाषा के बड़े मॉडल विकसित करना और राज्य को एआई नवाचार और नेतृत्व के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
हुमैन का निर्माण, किंगडम की आर्थिक परिवर्तन योजना, विजन 2030 के व्यापक लक्ष्यों के अनुसार है और उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में अग्रणी बनने की उसकी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।
अब बात करते हैं उस नए फलते-फूलते रिश्ते की, जिस पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। यह संबंध दिखाता है कि अमेरिका में व्यापार + टेक + कूटनीति का गठबंधन फिर से मजबूत हो रहा है। इसका अर्थ है कि व्हाइट हाउस की विदेश नीति, सिलिकॉन वैली की तकनीकी महत्वाकांक्षाएं और मध्य-पूर्व की अपार पूंजी—तीनों एक साझा रणनीतिक धुरी में बदलते दिख रहे हैं।
सऊदी नेतृत्व के लिए यह संबंध केवल आर्थिक विविधीकरण का हिस्सा नहीं है, बल्कि अमेरिका के राजनीतिक शक्ति-केंद्रों तक सीधी पहुंच का माध्यम भी है।
दूसरी ओर, ट्रंप के लिए अरब सहयोग का संकेत है कि उनका प्रभाव वैश्विक पूंजी पर अभी भी गहरा है, और यदि वे सत्ता में लौटते हैं, तो यह नेटवर्क उन्हें चीन, ऊर्जा बाजारों और टेक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर अतिरिक्त फायदा देगा। एलन मस्क जैसे व्यक्तित्व का इस गठबंधन में होना इस रिश्ते को तकनीकी वैधता और भविष्यवादी प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
ऐसे त्रिकोणीय गठबंधन का असर यह होगा कि वैश्विक नीतियों में पूंजी और टेक का प्रभाव कहीं अधिक बढ़ेगा। पारंपरिक कूटनीति की जगह सौदे, निवेश, रक्षा-तकनीक और डिजिटल नियंत्रण जैसे नए तत्व हावी होंगे। अमेरिका और सऊदी के बीच यह मेल चीन के खिलाफ शक्ति-संतुलन में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
संक्षेप में, यह साथ आना केवल फोटो-ऑप नहीं है; यह संकेत है कि आने वाले वर्षों में वैश्विक राजनीति में टेक अरबपतियों, ऊर्जा सम्राटों और राजनीतिक शक्तियों का एक नया त्रिकोणीय युग आकार ले रहा है।
ट्रंप ने ओवल ऑफिस में 'एमबीएस' को "बहुत अच्छा दोस्त" बताते हुए गर्मजोशी से स्वागत किया। सऊदी अरब ने अमेरिका में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 84 लाख करोड़ रुपये) का निवेश बढ़ाने की घोषणा की। पहले 600 अरब डॉलर का वादा था, जो अब एआई, ऊर्जा और इन्फ्रास्ट्रक्चर में विस्तार करेगा, जिसमें 50 अरब डॉलर चिप्स (सेमीकंडक्टर) पर खर्च करने का प्लान भी शामिल है।
समझौते ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग और रक्षा क्षेत्र को लेकर भी हुए। सऊदी को मेजर नॉन-नाटो एली का दर्जा भी यूएस ने दे दिया है, जो काफी मायने रखता है।