क्या तूफान मेलिसा ने कैरेबियाई क्षेत्र में 75 लोगों की जान ली?
सारांश
Key Takeaways
- क्यूबा, हैती और जमाइका में तूफान मेलिसा के कारण भारी तबाही हुई।
- 75 लोगों की जान गई और 50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
- संयुक्त राष्ट्र राहत कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल है।
- जलवायु परिवर्तन का तूफानों की तीव्रता पर प्रभाव पड़ रहा है।
- महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। तूफान मेलिसा के चलते क्यूबा, हैती और जमाइका में अब तक लगभग 75 लोगों का निधन हो चुका है और लगभग 50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। यह तूफान एक सप्ताह पहले आया था।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि इस तूफान के कारण 7 लाख 70 हजार से अधिक लोग अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हुए हैं, और हजारों घरों, स्कूलों तथा अस्पतालों को नुकसान हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र और उसकी विभिन्न संस्थाएं इन देशों की सरकारों को सहायता प्रदान कर रही हैं। जमाइका में राहत कार्यों को बढ़ावा देने के लिए, संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता टीम ने अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात किया है।
क्यूबा में, खाद्य और कृषि संगठन किसानों को उपकरण, मवेशियों का चारा और मछली पकड़ने का सामान उपलब्ध करवा रहा है, ताकि उनके कार्य फिर से आरंभ हो सकें। वहीं, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने पूर्वी प्रांतों में मोबाइल गोदाम, लाइटिंग टावर और टेंट लगाए हैं।
हक के अनुसार, विभिन्न संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां पूरे क्षेत्र में महत्वपूर्ण मानवीय सहायता प्रदान करने में जुटी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। वे स्वास्थ्य किट बांटने और लैंगिक हिंसा से बचाव तथा सहायता के लिए स्थानीय संगठनों के साथ सहयोग कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम छत बनाने की सामग्री, औज़ार और बिजली के लिए जेनरेटर प्रदान कर रहा है, ताकि लोग अपने घर और ढाँचे फिर से बना सकें।
इसके साथ ही, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष 16 हजार लोगों को प्रतिदिन साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए पानी संग्रह और शोधन सामग्री पहुंचा रहा है, जिससे बीमारियों को रोका जा सके और प्रभावित परिवारों की जीवन स्थितियों में सुधार हो सके।
विज्ञानियों का मानना है कि मेलिसा जैसे तूफान की तीव्रता और जलवायु संकट एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। अध्ययन के अनुसार, भयंकर तीव्रता वाले तूफान जलवायु परिवर्तन के कारण पहले की तुलना में पांच गुना अधिक आ रहे हैं।