क्या तुर्की गाजा में सेना की तैनाती पर विचार कर रहा है? एर्दोगन
सारांश
Key Takeaways
- तुर्की गाजा में सैनिकों की तैनाती पर विचार कर रहा है।
- एर्दोगन ने गाजा की मानवीय स्थिति को गंभीर बताया।
- गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल के कार्यों की आलोचना की गई।
- गाजा में स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
- तुर्की और इजरायल के रिश्ते में खटास आई है।
अंकारा, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने गाजा की मौजूदा स्थिति का गहराई से आकलन किया है। अंतर्राष्ट्रीय स्थिरिकरण बल (International Stabilization Force) में अपनी सुरक्षा बल को कैसे तैनात किया जाए, इस पर विचार-विमर्श जारी है।
नाटो सदस्य तुर्की ने गाजा में सीजफायर के लिए बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और मिस्र में समझौते को अंतिम रूप देने में भी योगदान दिया था। तुर्की का स्पष्ट कहना है कि वे इसे पूरा करके ही दम लेंगे और उन्होंने स्थिरिकरण बल में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है।
एर्दोगन ने इस बात पर जोर दिया कि लड़ाई के मानवीय नतीजों को कम करना एक वैश्विक जिम्मेदारी है और उन्होंने अन्य देशों से गाजा के पुनर्निमाण में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा, “हम गाजा में अपने भाइयों और बहनों के लिए अपने उसूलों वाला रवैया बनाए रखेंगे।”
दक्षिण अफ्रीका में जी20 समिट के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एर्दोगन ने फिर से कहा कि गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल का युद्ध “नरसंहार” के बराबर था और इसके लिए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जिम्मेदार हैं। इजरायल ने नरसंहार के आरोपों को हमेशा खारिज किया है।
इजरायल लगातार कहता रहा है कि वह गाजा में तुर्की के सैनिकों को जमीन पर नहीं आने देगा। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार कह चुके हैं कि वे 20 सूत्रीय शांति योजना के तहत गाजा में 'किसी भी देश की सेना' को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कभी तुर्की और इजरायल के रिश्ते बहुत अच्छे हुआ करते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ये तल्ख हुए हैं। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने गाजा पर किए गए हवाई और जमीनी हमलों की कड़ी आलोचना की है और उनके कामों की तुलना नाजियों से की है।