क्या यूएनजीए अध्यक्ष ने 'ऐतिहासिक अन्याय' दूर करने के लिए सुरक्षा परिषद में सुधार की अपील की?

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क्या यूएनजीए अध्यक्ष ने 'ऐतिहासिक अन्याय' दूर करने के लिए सुरक्षा परिषद में सुधार की अपील की?

सारांश

संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष एनालेना बेयरबॉक ने सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने परिषद की पुरानी संरचना को सुधारने का लक्ष्य रखा है, जो ऐतिहासिक रूप से अन्यायपूर्ण है। क्या यह सुधार वैश्विक राजनीति को प्रभावित करेगा?

Key Takeaways

  • सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
  • अफ्रीका के देशों का प्रतिनिधित्व न होना ऐतिहासिक अन्याय है।
  • महासभा की अध्यक्ष ने खुली चर्चा की आवश्यकता बताई।
  • जर्मनी जी-4 समूह का हिस्सा है।
  • आईजीएन वार्ताओं के सह-अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं।

संयुक्त राष्ट्र, 21 (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की अध्यक्ष एनालेना बेयरबॉक ने सुरक्षा परिषद में तुरंत सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है। उनकी प्रवक्ता ला नीस कॉलिन्स के अनुसार, बेयरबॉक का उद्देश्य परिषद की पुरानी संरचना को सुधारना है, जिसे वह 'ऐतिहासिक रूप से अन्यायपूर्ण' मानती हैं।

कॉलिन्स ने बताया कि अध्यक्ष का मानना है कि सुरक्षा परिषद में सुधार पर खुली चर्चा और विचार होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बेयरबॉक कई बार यह बात कह चुकी हैं, जैसे कि उदाहरण के लिए अफ्रीका महाद्वीप के किसी भी देश का सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य न होना एक ऐतिहासिक अन्याय है और यह परिषद आज की दुनिया का सही प्रतिनिधित्व नहीं करती।

महासभा की अध्यक्ष के रूप में, बेयरबॉक ने किसी विशेष सुधार योजना का समर्थन नहीं किया है, लेकिन वे यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि यह संस्था 80 साल पहले एक बिल्कुल अलग समय में बनी थी और अब इसे 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार बदलना आवश्यक है।

बेयरबॉक जर्मनी की पूर्व विदेश मंत्री रही हैं और उस समय भी वे सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने, तथा भारत और जर्मनी को स्थायी सीट देने की पक्षधर थीं।

जर्मनी जी-4 समूह का हिस्सा है, जिसमें भारत, ब्राज़ील और जापान शामिल हैं। यह समूह सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए प्रयास करता है।

पिछले साल, उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ जी4 विदेश मंत्रियों की मीटिंग में हिस्सा लिया और उस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें चारों देशों ने एक-दूसरे को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन दोहराया।

उस बयान में यह भी कहा गया था कि सुरक्षा परिषद सुधार से जुड़ी इंटर-गवर्नमेंटल नेगोशिएशन प्रोसेस (आईजीएन) में वर्षों से ठोस प्रगति न होने पर मंत्रियों ने गहरी चिंता जताई और टेक्स्ट-बेस्ड बातचीत जल्द शुरू करने की मांग की।

महासभा की अध्यक्ष के रूप में बेयरबॉक ने हाल ही में कुवैत के स्थायी प्रतिनिधि तारिक एम. ए. एम. अलबनाई और नीदरलैंड्स की लीज़ ग्रेगोइरे-वैन हारेन को आईजीएन वार्ताओं के सह-अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है, ताकि इस बातचीत को फिर से शुरू किया जा सके।

Point of View

यह स्पष्ट है कि सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता है। वैश्विक राजनीति में बदलाव लाने के लिए ऐसी चर्चाएं आवश्यक हैं। भारत और जर्मनी जैसे देश इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
NationPress
21/11/2025

Frequently Asked Questions

यूएनजीए अध्यक्ष ने सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग क्यों की?
यूएनजीए अध्यक्ष एनालेना बेयरबॉक का मानना है कि सुरक्षा परिषद की पुरानी संरचना ऐतिहासिक रूप से अन्यायपूर्ण है और इसे 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार बदलने की आवश्यकता है।
क्या सुधार के लिए कोई विशेष योजना है?
हालांकि बेयरबॉक ने किसी विशेष सुधार योजना का समर्थन नहीं किया है, लेकिन उन्होंने खुली चर्चा की आवश्यकता पर जोर दिया है।
जी-4 समूह क्या है?
जी-4 समूह में भारत, जर्मनी, ब्राज़ील और जापान शामिल हैं, जो सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए मिलकर प्रयास करते हैं।
बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
बेयरबॉक ने आईजीएन वार्ताओं के सह-अध्यक्ष के रूप में कुवैत और नीदरलैंड्स के प्रतिनिधियों को नियुक्त किया है।
क्या ये सुधार वैश्विक राजनीति को प्रभावित करेंगे?
हाँ, यदि ये सुधार लागू होते हैं, तो ये वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकते हैं।
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