क्या वित्तीय अनुशासन के बिना सैन्य शक्ति को बनाए रखा जा सकता है? रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

सारांश
Key Takeaways
- वित्तीय अनुशासन सैन्य शक्ति का आधार है।
- संसाधनों का कुशल प्रबंधन आवश्यक है।
- रक्षा बजट का संरक्षण महत्वपूर्ण है।
- नवाचार को बढ़ावा देना जरूरी है।
- हमारे निर्णय सेना की सुरक्षा से जुड़े हैं।
नई दिल्ली, १ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑपरेशन सिंदूर में संपूर्ण विश्व ने देखा कि किस प्रकार हमारी सेनाओं ने एक ऐतिहासिक और निर्णायक जीत प्राप्त की। हमने अपनी सेनाओं के शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन देखा। सोमवार को यह बात बताते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि वित्तीय अनुशासन के बिना किसी भी सैन्य शक्ति को बनाए रखना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि चाहे हमारी सेना कितनी भी सक्षम क्यों न हो, यदि उनके लिए आवश्यक संसाधन समय पर उपलब्ध नहीं होंगे, तो उनकी क्षमता पर विपरीत प्रभाव अवश्य पड़ेगा। राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में डिफेंस अकाउंट डिपार्टमेंट (डीएडी) के २७८वें स्थापना दिवस पर बोलते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि डीएडी एक अदृश्य पुल है, जो वित्त और बल को जोड़ता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी सेनाओं के शौर्य के पीछे डिफेंस अकाउंट डिपार्टमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि शांति काल में पेंशन और वेलफेयर स्कीम में इस विभाग की भूमिका होती है, लेकिन युद्ध के दौरान भी आप लोग संसाधनों के कुशल उपयोग में जो भूमिका निभाते हैं, उसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अब हमें एक ऐसा इनॉवेटिव इकोसिस्टम तैयार करने की आवश्यकता है जो रिसर्च और डेवलपमेंट आधारित तकनीकों को हमारे रक्षा क्षेत्र में बढ़ावा दे। राजनाथ सिंह ने कहा, "मेरा मानना है कि रक्षा बजट के संरक्षक के रूप में आप सभी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए आपको रिसर्च और डेवलपमेंट को सुगम बनाने की दिशा में विचार करना चाहिए।"
उन्होंने कहा, “यदि हम सही सोच और समन्वय के साथ कार्य करें, तो नियमों का पालन करते हुए भी हमारी सेनाओं की आवश्यकताओं को समय पर पूरा किया जा सकता है। यही संतुलन हमारे कार्य का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। जब यह संतुलन साध लिया जाता है, तो चाहे कितनी भी बड़ी चुनौती क्यों न हो, हम उसे न केवल पार कर सकते हैं, बल्कि उससे और मजबूत बनकर भी निकलते हैं।”
उन्होंने जीएसटी पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत जीएसटी दरों में सुधार किया गया है। इसका सीधा प्रभाव रक्षा खरीद पर पड़ना निश्चित है, जो हमारे लिए एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने कहा कि वस्तुओं की कीमतों में कमी से, अधिक से अधिक रक्षा खरीद संभव होगी।
रक्षा मंत्री ने कहा, “किसी भी राष्ट्र की शक्ति, उसकी सेनाओं के साथ-साथ, उन लोगों की निष्ठा में भी होती है जो पर्दे के पीछे रहकर उस सेना को मजबूत करते हैं। आप लोगों की जिम्मेदारियों और महत्व दोनों ही अत्यधिक हैं। आपका कार्य आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने का भी है। आपके भीतर यह विश्वास होना चाहिए कि आप केवल आज का नहीं, बल्कि आने वाले कल का भारत भी गढ़ रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की वित्तीय जड़ें कितनी मजबूत हैं, उससे उस राष्ट्र की मजबूती का पता चलता है। फाइनेंस किसी भी देश की जीवनरेखा होती है। जिस प्रकार हमारे शरीर में रक्त का संचार निरंतर बना रहना चाहिए, उसी प्रकार राष्ट्र की गवर्नेंस और उसकी डिफेंस मशीनरी को सुचारू रूप से चलाने के लिए, फाइनेंशियल फ्लो भी अत्यंत आवश्यक है।
रक्षा मंत्री ने कहा, “हमें अपने मन में यह बात स्पष्ट रखनी चाहिए कि हम जो भी कार्य कर रहे हैं, वह केवल 'काम करने के लिए काम' नहीं होना चाहिए। यह केवल एक ड्यूटी या प्रोफेशन नहीं है। यह हमारे लिए सेवा और साधना होनी चाहिए। हमें यह समझना होगा कि हमारा प्रत्येक निर्णय सीधे हमारे जवानों की सुरक्षा, उनके मनोबल और हमारे राष्ट्र की शक्ति से जुड़ा है। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके भीतर यह भावना अवश्य होगी कि आप राष्ट्र उत्थान में योगदान देना चाहते हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि यह भावना केवल एक अचानक आने वाली प्रेरणा के रूप में न रहे, बल्कि यह आपके अंदर स्थायी रूप से संस्कारित हो जाए।”