क्या यूपीआई ट्रांजैक्शन पर चार्ज लगाने का कोई प्रस्ताव है? : आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा

सारांश
Key Takeaways
- यूपीआई ट्रांजैक्शन पर शुल्क का कोई प्रस्ताव नहीं है।
- सितंबर में यूपीआई ट्रांजैक्शन की संख्या में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर स्थिर है।
- खाद्य कीमतों में गिरावट से मुद्रास्फीति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- आरबीआई ने 2025-2026 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 2.6 प्रतिशत रखा है।
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को स्पष्ट किया कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से होने वाले ट्रांजैक्शन पर किसी प्रकार का शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव वर्तमान में नहीं है।
आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद अपने संबोधन में यूपीआई ट्रांजैक्शन के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि यूपीआई हमेशा निःशुल्क रहेगा, लेकिन यह स्पष्ट किया कि यूपीआई के संचालन से जुड़े खर्चों को किसी न किसी को वहन करना होगा।
गवर्नर ने कहा, "मैंने कहा था कि यूपीआई ट्रांजैक्शन से जुड़े कुछ खर्च होते हैं और उन्हें किसी न किसी को वहन करना होगा।"
उन्होंने पहले भी नीतिगत बैठकों के बाद यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जानकारी दी थी।
नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस सितंबर में यूपीआई ट्रांजैक्शन की संख्या बढ़कर 19.63 बिलियन हो गई, जिसमें सालाना आधार पर 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ट्रांजैक्शन राशि की बात करें तो यह सितंबर में 24.90 लाख करोड़ हो गई, जो सालाना आधार पर 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। मासिक आधार पर भी यह वृद्धि अगस्त में 24.85 लाख करोड़ रुपए थी।
एनपीसीआई के आंकड़ों के अनुसार, औसत दैनिक ट्रांजैक्शन संख्या 654 मिलियन और औसत दैनिक ट्रांजैक्शन राशि 82,991 करोड़ रुपए हो गई है। इससे पूर्व अगस्त में औसत दैनिक ट्रांजैक्शन संख्या 645 मिलियन और औसत दैनिक ट्रांजैक्शन राशि 80,177 करोड़ रुपए थी।
अगस्त में यूपीआई ट्रांजैक्शन पहली बार 20 बिलियन के पार हो गए थे। इसके पहले 2 अगस्त को यूपीआई ने एक दिन में 700 मिलियन ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड बनाया था।
इस बीच, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने और न्यूट्रल नीतिगत रुख बनाए रखने का निर्णय लिया है।
न्यूट्रल रुख से वृद्धि को नुकसान पहुँचाए बिना मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का एक संतुलन बनता है, जिससे न तो प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है और न ही तरलता पर कोई प्रतिबंध लगता है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खाद्य कीमतों में भारी गिरावट और जीएसटी रेट में कटौती से मुद्रास्फीति का अनुमान बेहतर हुआ है। इसके चलते, आरबीआई ने 2025-2026 के लिए औसत मुद्रास्फीति दर के अपने अनुमान को 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया है।