क्या अमेरिकी थिंक टैंक ने यूनुस सरकार पर सवाल उठाए हैं? कट्टरवाद के बढ़ने की चेतावनी

सारांश
Key Takeaways
- कट्टर इस्लामी प्रभाव का बढ़ना बांग्लादेश के लिए खतरा है।
- यूनुस सरकार ने आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में असफलता दिखाई है।
- अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ रहे हैं, सरकार सुरक्षा देने में विफल है।
- बांग्लादेश की राजनीति अराजकता की ओर बढ़ रही है।
- यूनुस का पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में असंतुलन है।
न्यूयॉर्क, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के प्रमुख थिंक टैंक, गेटस्टोन इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मुहम्मद यूनुस का अर्थशास्त्री से अंतरिम सरकार के प्रमुख बनने का सफर बांग्लादेश के लिए घातक साबित हुआ है। उनके नेतृत्व में कट्टर इस्लामी प्रभाव तेजी से बढ़ा है, जो देश को एक धार्मिक राज्य में बदलने का खतरा पैदा कर रहा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूनुस के शासन के तहत बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति एक असफल राज्य की ओर बढ़ रही है। यह स्थिति आतंकवादियों के लिए अनुकूल हो सकती है, क्योंकि सरकार कट्टर इस्लामी प्रभावों को रोकने में असफल रही है।
गेटस्टोन इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2024 में सत्ता संभालने के बाद, यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश राजनीतिक अराजकता, कट्टर इस्लामवाद, आर्थिक संकट और सामाजिक विभाजन का शिकार हो गया है। यह स्थिति देश की आर्थिक स्थिरता और लोकतांत्रिक भविष्य को खतरे में डाल रही है।
छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाया गया, जिससे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और इस्लामवादी पार्टी बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी को लाभ हुआ। हसीना की अवामी लीग पार्टी को भारी विरोध का सामना करना पड़ा।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि हिजब-उत-तहरीर जैसे संगठन खुलेआम खलीफा शासन की वकालत कर रहे हैं, जबकि देवबंदी इस्लामी वकालत समूह, हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश, महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ है।
कट्टरपंथी इस्लामी जमात-चार मोनाई के नेता मुफ्ती सैयद मुहम्मद फैजुल करीम का कहना है कि उनकी पार्टी तालिबान-शैली के शासन पर आधारित इस्लामी शरिया कानून लागू करना चाहती है। यूनुस की अंतरिम सरकार का इस पर निष्क्रिय रवैया उनकी कमजोरी या देश के इस्लामीकरण के प्रति मौन समर्थन को दर्शाता है।
अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं, पर हमले बढ़ रहे हैं और सरकार उनकी सुरक्षा में नाकाम रही है, जिसे रिपोर्ट ने सरकार की सबसे बड़ी नैतिक विफलता बताया है। 2024 में चटगांव हिल ट्रैक्ट्स में चकमा समुदाय के कम से कम 100 घरों और दुकानों को जला दिया गया, और बांग्लादेश सेना ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया, जो सरकार की मिलीभगत को दर्शाता है।
आर्थिक मोर्चे पर, यूनुस सरकार मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने में असफल रही है, जो 10.87 प्रतिशत तक पहुँच गई है, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति 14 प्रतिशत के विनाशकारी स्तर पर है।
गेटस्टोन इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश के आर्थिक सुधार की उम्मीदें लाखों बांग्लादेशियों के लिए दुःस्वप्न बन गई हैं, जो घटती क्रय शक्ति के कारण बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
रिपोर्ट में यूनुस की एक और बड़ी विफलता का उल्लेख किया गया है। कहा गया है कि उन्होंने बांग्लादेश के सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी और आर्थिक साझेदार, भारत को अलग-थलग कर दिया और इसके बजाय चीन और पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को बढ़ाया। यूनुस ने भारत पर घरेलू समस्याओं के लिए बार-बार हमला किया, जो समस्याओं को हल करने के बजाय बलि का बकरा बनाने की प्रवृत्ति दर्शाता है।
इसके अलावा, चीन और पाकिस्तान से उनकी नजदीकी एक ऐसी विदेश नीति को उजागर करती है जिसमें रणनीतिक सोच का अभाव है। अप्रैल 2025 में, उन्होंने चीन को बांग्लादेश में आर्थिक आधार स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया और इस बात पर जोर दिया कि ढाका उपमहाद्वीप में 'समुद्र का एकमात्र संरक्षक' है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकी 1971 के नरसंहार के लिए औपचारिक माफी न मिलने के बावजूद उस क्रूर दौर के पीड़ितों का अपमान करती है।
जैसे-जैसे बांग्लादेश एक लोकतांत्रिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, वह पहले से कहीं ज्यादा खुद को अलग-थलग पाता है।