क्या केजरीवाल सरकार 10वीं का रिजल्ट सर्वश्रेष्ठ दिखाने के लिए हर कमजोर छात्र को 9वीं में फेल कर देती थी?
सारांश
Key Takeaways
- अरविंद केजरीवाल सरकार के शिक्षा दावे संदिग्ध हैं।
- कोविड काल के दौरान छात्रों की बड़ी संख्या में फेल होना चिंताजनक है।
- ओपन स्कूल के माध्यम से शिक्षा जारी रखने वाले छात्रों की संख्या बहुत कम है।
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली भाजपा ने हमेशा कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार के उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा व्यवस्था के दावे निराधार हैं। आज राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी के द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों ने भाजपा के इस दावे को सही साबित किया है।
सचदेवा ने यह भी बताया कि केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 और 2021-22 के कोविड काल के वर्षों में क्रमशः 31541 और 28548 छात्र नौवीं कक्षा में फेल हुए, जिनमें से केवल 11322 और 10598 छात्रों ने ओपन स्कूल के माध्यम से शिक्षा जारी रखी। शेष 39519 छात्रों ने अपनी शिक्षा को जारी नहीं रखा।
2022-23 में कुल 88421 छात्रों ने कक्षा 9 में फेल होने की स्थिति का सामना किया, जिनमें से केवल 29436 छात्रों ने ओपन स्कूल से शिक्षा जारी रखी।
2023-24 में, जब आतिशी शिक्षा मंत्री बनी थीं, तब 9वीं में फेल होने वाले छात्रों की संख्या 101344 तक पहुँच गई, और उनमें से केवल 7794 छात्रों ने ओपन स्कूल से पढ़ाई जारी रखी। पिछले वर्ष 2024-25 में, 70296 छात्र फेल हुए, जिनमें से केवल 11974 ने ओपन स्कूल से अपनी शिक्षा जारी रखी।
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि भाजपा ने हमेशा कहा है कि 10वीं का परीक्षाफल उत्कृष्ट दिखाने के लिए केजरीवाल सरकार हर कमजोर छात्र को नौवीं में फेल कर देती है, और आज संसद में प्रस्तुत आंकड़े हमारे आरोप को प्रमाणित करते हैं।