क्या 5 अगस्त का दिन भारत के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत है, जब राम मंदिर की आधारशिला रखी गई थी?

सारांश
Key Takeaways
- 5 अगस्त 2020 का दिन भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण है।
- भूमिपूजन समारोह में नरेंद्र मोदी ने आधारशिला रखी।
- यह आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
- स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने भी हिस्सा लिया।
- राम मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया जा रहा है।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। साल 2020 में 5 अगस्त का दिन भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया, जब अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन समारोह का आयोजन हुआ।
यह दिन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह देशवासियों की आस्था, एकता, और लंबे समय से चल रहे संघर्ष का प्रतीक भी बना।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की देखरेख में आयोजित इस समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 40 किलोग्राम की चांदी की ईंट रखकर मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी थी। यह क्षण करोड़ों राम भक्तों के लिए गर्व और उल्लास का अवसर था।
अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि के रूप में हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, जो लंबे समय तक विवादों में घिरी रही। 1528 में बाबरी ढांचे के निर्माण से शुरू हुआ विवाद, 1949 में रामलला की मूर्ति स्थापना और 1992 में ढांचे के विध्वंस जैसे कई ऐतिहासिक मोड़ों से गुजरा। सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर 2019 के ऐतिहासिक फैसले ने इस विवाद का अंत करते हुए राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि रामलला को सौंपी और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन का आदेश दिया। इसके बाद 5 अगस्त को आयोजित भूमिपूजन समारोह तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठानों के बाद संपन्न हुआ।
साल 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद रामलला के दर्शन किए और भूमिपूजन स्थल पर पहुंचकर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच चांदी की ईंट स्थापित की थी। इस अवसर पर तांबे के कलश में गंगाजल, सर्वऔषधि, पंच रत्न और शेषनाग व कच्छप अवतार के प्रतीकों को नींव में स्थापित किया गया। इस समारोह में 175 विशिष्ट अतिथि शामिल हुए थे, जिनमें साधु-संत, राजनेता और विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधि थे। अयोध्या को भव्य रूप से सजाया गया था और सरयू तट पर दीप जलाकर उत्सव मनाया गया था।
स्थानीय मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने भी इस आयोजन में हिस्सा लिया था, जो सामाजिक सौहार्द का प्रतीक बना। मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया गया। नागर शैली में बन रहे इस मंदिर में वंशी पहाड़पुर के लाल पत्थरों का उपयोग हुआ और 56 परतों वाले कॉम्पैक्ट कंक्रीट से नींव तैयार की गई। मंदिर परिसर में सूर्यदेव, गणेश, शिव, दुर्गा, अन्नपूर्णा और हनुमान जी के मंदिर भी बनाए जा रहे हैं।
यह भूमिपूजन न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक एकता और आध्यात्मिक विरासत के पुनर्जनन का प्रतीक भी बना। 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ राम मंदिर को दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया।