क्या 7 शनिवार व्रत से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिल सकती है?
सारांश
Key Takeaways
- शनिवार का व्रत नकारात्मकता को दूर करता है।
- 7 शनिवार व्रत से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है।
- पीपल के पेड़ पर दीया जलाना महत्वपूर्ण है।
- पूजा विधि में विधि-विधान का पालन करें।
- हर शनिवार सरसों के तेल का दीया जलाना लाभकारी है।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि शनिवार को आ रही है। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा मिथुन राशि में उपस्थित रहेंगे। इस दिन कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं।
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 36 मिनट से लेकर 10 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
पौराणिक धर्मग्रंथों में कहा गया है कि शनिवार का व्रत रखने या शनिदेव की विधि-विधान से पूजा करने से जातक को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है। आप किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से व्रत शुरू कर सकते हैं और 7 शनिवार व्रत रखने से शनि के प्रकोप से राहत मिलती है तथा हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
मान्यता है कि शनिदेव का निवास पीपल के पेड़ पर होता है। यदि आपके आसपास शनिदेव का मंदिर नहीं है, तो आप पीपल के पेड़ पर दीया जला सकते हैं। यदि जातक किसी कारणवश व्रत या पूजा नहीं कर सकते, तो हर शनिवार सरसों के तेल का दीया या छाया दान (सरसों के तेल का दान) अवश्य करें। इससे नकारात्मकता दूर होती है और शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ध्यान रखें कि पूजा के समय शनिदेव से नजरें न मिलाएं, ऐसा करने से शनिदेव का प्रकोप पड़ सकता है।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। शनिदेव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं। उन्हें गुड़, काले वस्त्र, काले तिल, काली उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करें और उनके सामने सरसों के तेल का दीया जलाएं। इसके बाद शनि चालीसा और कथा का पाठ करें। पूजा के दौरान शनिदेव को पूरी और काले उड़द दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं और आरती करें।