क्या इंडिगो की रद्द उड़ानों पर सियासी हंगामा हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- इंडिगो की रद्द उड़ानें यात्रियों के लिए गंभीर समस्या बन गई हैं।
- विपक्षी दलों ने सरकार और एयरलाइन पर आलोचना की है।
- सरकार को जल्दी हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।
- पायलटों के नए नियमों का यह परिणाम है।
- यात्री आर्थिक नुकसान का सामना कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। इंडिगो एयरलाइंस की सैकड़ों उड़ानें अचानक रद्द होने के कारण देशभर के हवाई अड्डों पर हजारों यात्री फंस गए हैं। इस घटना पर विपक्षी दलों के सांसदों और नेताओं ने केंद्र सरकार तथा एयरलाइन पर गंभीर आलोचना की है।
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद नीरज कुशवाहा ने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। बड़ी संख्या में यात्री विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं। मैं भारत सरकार से अपील करता हूं कि इस मामले का तुरंत संज्ञान लें और उड़ान सेवाओं को जल्द बहाल करें।"
सपा के सांसद आनंद भदौरिया ने पायलटों के नए नियमों को इस समस्या का कारण बताया। उन्होंने कहा, "कुछ दिन पहले सरकार ने पायलटों के लिए नए नियम लागू किए, जिन्हें सभी एयरलाइंस ने मान लिया। इंडिगो को लगा कि उनके पास पर्याप्त संसाधन हैं। लेकिन अब पता चला है कि इंडिगो के पायलटों ने कहा है कि जब बाकी एयरलाइंस कम घंटे में उड़ानें चला रही हैं, तो हम क्यों ज्यादा काम करें?"
उन्होंने सरकार को संवेदनहीन बताया और मांग की कि सरकार को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष एवं सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कंपनी पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि जिन्हें तकलीफ उठानी है, वे उठाएंगे। कंपनियों के ऊपर कोई लगाम नहीं है।
चंद्रशेखर ने कहा, "आम यात्री ने टिकट बुक किए हैं, लेकिन उड़ान रद्द होने से उनके योजना में बाधा आएगी, जो उनके परिवारों पर असर डालेगा और उन्हें आर्थिक नुकसान होगा। कंपनी को इससे क्या फर्क पड़ता है? यहां कंपनी बिना किसी जवाबदेही के मनमानी कर रही है। चाहे वे 500 उड़ानें रद्द करें या 5,000, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।"
उन्होंने आगे कहा, "निजी कंपनियां पूरा पैसा लेती हैं। आपके लेट होने पर गेट बंद हो जाएंगे, लेकिन उड़ानों में देरी पर कंपनियों को कोई फर्क नहीं पड़ता, चाहे यात्री का कितना भी नुकसान क्यों न हो जाए। जब तक इन कंपनियों पर सख्त नियंत्रण नहीं किया जाएगा, हम ऐसी नाइंसाफी और जुल्म देखते रहेंगे।" चंद्रशेखर ने नागरिक उड्डयन मंत्री से अपील की कि वे इस मामले में कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
वहीं, आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से सीपीएम प्रवक्ता चिगुरुपति बाबू राव ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि न कोई जवाब दिया जा रहा है और न अलग से इंतजाम किए गए हैं।
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार और मंत्री को जवाब देना चाहिए कि आखिर यह हुआ क्यों और एयरलाइन ने ऐसी असुविधा क्यों पैदा की? सड़क परिवहन में सरकार फेल हो चुकी है, ट्रेनें भी परेशानी में हैं और अब हवाई जहाज भी दिक्कत में हैं। पूरा परिवहन तंत्र लचर हो चुका है।"