क्या हरियाणा आईपीएस आत्महत्या केस में राजनीति करना उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- आईपीएस आत्महत्या एक गंभीर मुद्दा है।
- राजनीति और प्रशासन को अलग रखना चाहिए।
- धर्मांतरण कानून पर सख्त कदम उठाए गए हैं।
- बिहार चुनाव में भाजपा की स्थिति मजबूत है।
- हरियाणा सरकार ने उचित कार्रवाई की है।
जयपुर, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान वित्त आयोग के अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण चतुर्वेदी ने हाल ही में राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत के दौरान हरियाणा की घटना को अत्यंत दुखद बताया। उन्होंने कहा कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की आत्महत्या बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हरियाणा सरकार ने कार्रवाई आरंभ कर दी है।
चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस हर घटना के पीछे राजनीति की खोज करती है, जबकि सरकार अपने कार्य और जांच प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए मामले को सुलझा रही है। उनका कहना है कि इस प्रकार की राजनीति, विशेषकर जाति और धर्म के आधार पर, देश को विभाजित करने वाली होती है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के 'एक्स' पोस्ट और टीका राम जूली के बयान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा जाति और धर्म के नाम पर एजेंडा चलाती रही है।
उन्होंने हरियाणा सरकार की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि सख्त कदम उठाकर सरकार ने एक संदेश दिया है कि कानून सभी के लिए समान है। उनका कहना है कि हर मामले में राजनीति करना उचित नहीं होता, बल्कि इसे सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने राजस्थान में धर्मांतरण कानून पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि अब राजस्थान में देश का सबसे सख्त धर्मांतरण कानून लागू हो चुका है, जिसके तहत धर्मांतरण करने वाले पर केवल जुर्माना और सजा नहीं होगी, बल्कि मकान पर बुलडोजर भी चलेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भी चतुर्वेदी ने अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि लालू राज और उनके समय का चारा घोटाला सबके सामने है और जनता ऐसे लोगों को फिर सत्ता में नहीं आने देगी।
उन्होंने एनडीए सरकार के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिहार में भाजपा की सरकार बनना निश्चित है। साथ ही उन्होंने बताया कि राजस्थान से कई लोग बिहार चुनाव में प्रचार और जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और आने वाले समय में वे पार्टी के प्रचार और संगठनात्मक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।