क्या समाजवादी पार्टी की सांसद रुचि वीरा ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को संदेहास्पद बताया?

सारांश
Key Takeaways
- जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा सियासी हलचल का कारण बना।
- संसद में विपक्ष की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
- रुचि वीरा ने इस्तीफे को साजिश बताया।
- मानसून सत्र में शांतिपूर्ण चर्चा की मांग।
- सदन में मजबूत विपक्ष की मौजूदगी को सरकार को ध्यान में रखना चाहिए।
नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद संसद की कार्यवाही में लगातार व्यवधान देखने को मिल रहा है। मानसून सत्र के तीसरे दिन विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमले, और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी की।
विपक्ष ने धनखड़ के इस्तीफे को साजिश करार दिया है। पूर्व उपराष्ट्रपति ने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और चिकित्सीय सलाह का पालन बताया था। समाजवादी पार्टी की सांसद रुचि वीरा ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को संदेहास्पद बताते हुए सवाल उठाया है कि अगर स्वास्थ्य कारण था तो इसकी जानकारी पहले क्यों नहीं थी।
बुधवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान सपा सांसद ने कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ के आगामी कार्यक्रम लगे हुए थे। यदि स्वास्थ्य कारण वास्तविक था, तो उनके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में कोई जानकारी या चिंता क्यों नहीं जताई गई। वह अस्पताल में भर्ती भी नहीं थे। अचानक इस्तीफा देना कहीं न कहीं साजिश दिखाता है।
मानसून सत्र में हो रहे हंगामे पर सपा सांसद ने कहा कि देखिए हंगामा कुछ भी नहीं है। विपक्ष तो सदन में शांतिपूर्ण चर्चा चाहता है। विपक्ष तो सदन के भीतर पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर, बिहार में चुनाव आयोग की ओर से वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन के मुद्दे पर चर्चा चाहता है। सरकार को विपक्ष के इस मुद्दे को सुनना चाहिए।
उन्होंने दावा किया है कि सदन के भीतर मौजूद मजबूत विपक्ष को सरकार की ओर से नजरअंदाज किया जा रहा है।
मानसून सत्र के तीसरे दिन विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमले, और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी की।
छांगुर बाबा पर सपा सांसद ने कहा कि यह कुछ भी नहीं है। इन बाबाओं को राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।