क्या सूचना-जैविक और वैचारिक युद्ध से निपटने के लिए तैयार है भारत, सुदर्शन चक्र की तैयारी?

सारांश
Key Takeaways
- सुदर्शन चक्र मिशन के लिए मध्यम और दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है।
- सेनाओं को अपरंपरागत खतरों से निपटने के लिए सतर्क रहना चाहिए।
- तकनीक-समर्थ सेना आज की आवश्यकता है।
- आत्मनिर्भरता रणनीतिक स्वायत्तता की कुंजी है।
- रक्षा उत्पादन में आवश्यकता का ध्यान रखना चाहिए।
नई दिल्ली, 16 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) भारत के लिए ‘सुदर्शन चक्र’ मिशन की सफलता हेतु मध्यम और दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है। यह जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को दी। उन्होंने तीनों सेनाओं की संयुक्तता पर जोर दिया।
रक्षा मंत्री ने सेनाओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से आगे बढ़कर अपरंपरागत खतरों जैसे सूचना युद्ध, वैचारिक युद्ध, इकोलॉजिकल और जैविक युद्ध का सामना करने के लिए सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक परिदृश्य, क्षेत्रीय अस्थिरता और उभरते सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए देश की सुरक्षा प्रणाली का निरंतर आकलन और समीक्षा आवश्यक है। यह बातें रक्षा मंत्री ने कोलकाता में आयोजित संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन 2025 के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध की प्रकृति निरंतर बदल रही है, और हाल के संघर्षों ने यह सिद्ध किया है कि तकनीक-समर्थ सेना आज की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “आधुनिक युद्ध उतने अप्रत्याशित होते हैं कि उनकी अवधि का पूर्वानुमान लगाना कठिन है। यह युद्ध दो महीने, एक वर्ष, या पांच वर्ष भी चल सकता है। हमें तैयार रहना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी आपात स्थिति से निपटने की क्षमता पर्याप्त हो।” राजनाथ सिंह ने सेनाओं से आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं के संतुलन के साथ प्रो-एक्टिव दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सुदर्शन चक्र’ के विजन को साकार करने के लिए पांच वर्षीय मध्यम अवधि की योजना और दस वर्षीय दीर्घकालिक योजना बनाने की आवश्यकता बताई।
यह ध्यान देने योग्य है कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ के अंतर्गत स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने की घोषणा की थी। इस प्रणाली का लक्ष्य भारत के सामरिक, नागरिक और राष्ट्रीय महत्व के स्थलों को संभावित दुश्मन हमलों से बचाना है। साथ ही, इस मिशन के तहत नए हथियार विकसित करने की योजना है। माना जा रहा है कि भारत की यह नई प्रणाली इजराइल की प्रसिद्ध ‘आयरन डोम’ से भी अधिक उन्नत और शक्तिशाली हो सकती है।
इसके अतिरिक्त, रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का रक्षा क्षेत्र आधुनिकीकरण, परिचालन तत्परता, तकनीकी श्रेष्ठता और विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता पर केंद्रित है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा सम्मेलन में दिए गए मंत्र ‘जय – संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार’ पर विशेष बल दिया। उन्होंने उद्योग और शिक्षा जगत के साथ गहन सहयोग कर भविष्य की तकनीकों के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही, निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ावा देकर रक्षा नवाचार तंत्र को मजबूत करने की बात कही।
उन्होंने भारतीय उद्योग को दुनिया में सबसे बड़ा और सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। रक्षा मंत्री ने यहां त्रि-सेवा संयुक्तता यानी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की ज्वांइटनेस की बात कही। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए त्रि-सेवा संयुक्तता और अन्य एजेंसियों के साथ सम्पूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण आवश्यक है। उन्होंने त्रि-सेवा लॉजिस्टिक नोड्स और मैनेजमेंट एप्लिकेशन की स्थापना सहित सिविल-मिलिट्री फ्यूजन की दिशा में उठाए गए कदमों का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने सिद्ध कर दिया है कि शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता — ये तीन स्तंभ भारत को 21वीं सदी में वह सामर्थ्य देंगे जिसकी उसे आवश्यकता है। आज हम स्वदेशी प्लेटफार्मों और प्रणालियों के साथ अपने वीर सैनिकों के साहस के बल पर हर चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। यही आत्मनिर्भर भारत की वास्तविक शक्ति है।” रक्षा मंत्री ने दोहराया कि आत्मनिर्भरता कोई नारा नहीं, बल्कि रणनीतिक स्वायत्तता की कुंजी है। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता न केवल आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देती है, बल्कि शिपयार्ड, एयरोस्पेस क्लस्टर और रक्षा कॉरिडोर की क्षमता भी बढ़ाती है।
उन्होंने डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 को अपनी मंजूरी देने और डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर 2020 में संशोधन की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना, देरी को कम करना और सशस्त्र सेनाओं को त्वरित परिचालन क्षमता प्रदान करना है। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।