क्या उत्तरी अरब सागर में भारत और इटली के युद्धपोतों का युद्धाभ्यास हुआ?

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क्या उत्तरी अरब सागर में भारत और इटली के युद्धपोतों का युद्धाभ्यास हुआ?

सारांश

उत्तरी अरब सागर में भारतीय नौसेना के आईएनएस सूरत और इटली के आईटीएस कैयो ड्यूलियो के बीच हो रहे युद्धाभ्यास ने रक्षा सहयोग को नई दिशा दी है। इस अभ्यास में सामरिक युद्धाभ्यास से लेकर विमान ट्रैकिंग तक की महत्वपूर्ण गतिविधियां शामिल हैं। क्या यह अभ्यास भारत और इटली के संबंधों को और मजबूत करेगा?

Key Takeaways

  • आईएनएस सूरत और आईटीएस कैयो ड्यूलियो के बीच महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास।
  • सामरिक युद्धाभ्यास और विमान ट्रैकिंग में भागीदारी।
  • भारत-इटली के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने का प्रयास।
  • अभ्यास का समापन पारंपरिक स्टीमपास्ट अभिवादन से हुआ।
  • यह अभ्यास दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी का प्रतीक है।

नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना का स्वदेशी गाइडेड मिसाइल युद्धपोत आईएनएस सूरत ने इटली की नौसेना के साथ एक युद्धाभ्यास किया है। इस सामरिक अभ्यास में भारतीय नौसेना ने इटेलियन नेवी के साथ विमान ट्रैकिंग जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों का आयोजन किया।

नौसेना के अनुसार, आईएनएस सूरत वर्तमान में उत्तरी अरब सागर में अपने मिशन पर तैनात है। इसी तैनाती के दौरान, भारतीय युद्धपोत ने इटली के युद्धपोत आईटीएस कैयो ड्यूलियो (एंड्रिया डोरिया क्लास विध्वंसक) के साथ पासेक्स एक्सरसाइज में भाग लिया। इस संयुक्त अभ्यास में दोनों देशों के युद्धपोतों ने सामरिक युद्धाभ्यास, विमान ट्रैकिंग, नौसैनिक कौशल अभ्यास, संचार ड्रिल तथा हवाई संचालन जैसी गतिविधियों को अंजाम दिया।

अभ्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा क्रॉस डेक लैंडिंग ऑपरेशन भी रहा। अभ्यास के समापन पर, दोनों जहाजों ने पारंपरिक स्टीमपास्ट के माध्यम से एक-दूसरे का अभिवादन किया। नौसेना का मानना है कि यह नौसैनिक अभ्यास भारत और इटली के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और समुद्री पारस्परिकता को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हुआ। अभ्यास के पूर्ण होने के बाद, दोनों देशों के युद्धपोत अपनी-अपनी तैनाती संबंधी गतिविधियों की ओर बढ़ चुके हैं। नौसेना का कहना है कि यह समुद्री सैन्य अभ्यास भारत-इटली के बीच गहरे होते रक्षा सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ बनाने के प्रयासों को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

यह ध्यान देने योग्य है कि यह इटली के साथ भारतीय नौसेना का हाल ही में हुआ दूसरा अभ्यास है। इससे कुछ दिन पहले, भारतीय नौसेना का नवीनतम युद्धपोत आईएनएस तमाल इटली के नेपल्स बंदरगाह पहुंचा था। रूस में निर्मित यह अत्याधुनिक भारतीय युद्धपोत 13 से 16 अगस्त तक इटली में रहा, जहां इसने नेपल्स बंदरगाह का दौरा किया। एशिया और यूरोपीय देशों की यात्रा पूरी कर, यह युद्धपोत भारत लौट रहा है। नौसेना का मानना है कि भारतीय युद्धपोत की इस समुद्री यात्रा से कूटनीति और द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई मिली है।

नौसेना के अनुसार, इटली के नेपल्स बंदरगाह की यह यात्रा भारत और इटली के संबंधों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच 2023 में औपचारिक रूप से स्थापित रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने का प्रतीक रही। इटली की नौसेना का नवीनतम लैंडिंग हेलीकॉप्टर डॉक युद्धपोत आईटीएस ट्रिएस्टे है। आईएनएस तमाल ने नेपल्स बंदरगाह में प्रवेश से पहले आईटीएस ट्रिएस्टे के साथ एक समुद्री युद्धाभ्यास किया।

इस दौरान दोनों नौसेनाओं ने संचार अभ्यास, समुद्री युद्धाभ्यास, हवाई अभियान और कर्मियों के अनुभव आदान-प्रदान जैसी गतिविधियां कीं। दोनों देशों द्वारा आयोजित यह समुद्री युद्धाभ्यास समुद्री परेड से समाप्त हुआ। यह भारतीय युद्धपोत न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल, केमिकल रक्षा प्रणाली से लैस है और इसमें हेलीकॉप्टर संचालन की भी क्षमता है। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और सतह से वायु में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है। इसमें 100 मिमी की तोप भी है। भारतीय दूतावास, रोम और आईएनएस तमाल ने संयुक्त रूप से जहाज पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया।

गौरतलब है कि 15 अगस्त को भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आईएनएस तमाल पर एक भव्य परेड का आयोजन भी किया गया था।

Point of View

बल्कि आंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में भी योगदान देगा। हमें अपने रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए ऐसे और अभ्यासों की आवश्यकता है।
NationPress
10/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत और इटली के बीच यह अभ्यास कब हुआ?
यह अभ्यास 10 सितंबर को उत्तरी अरब सागर में हुआ।
इस अभ्यास में कौन-कौन से युद्धपोत शामिल थे?
इस अभ्यास में भारतीय आईएनएस सूरत और इटली का आईटीएस कैयो ड्यूलियो शामिल थे।
अभ्यास का मुख्य उद्देश्य क्या था?
अभ्यास का मुख्य उद्देश्य सामरिक युद्धाभ्यास और विमान ट्रैकिंग जैसी गतिविधियों के माध्यम से दोनों नौसेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ाना था।