क्या आदिवासी अधिकारों पर हो रहा है हमला, संविधान उनके लिए ढाल और तलवार है?

Click to start listening
क्या आदिवासी अधिकारों पर हो रहा है हमला, संविधान उनके लिए ढाल और तलवार है?

सारांश

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आदिवासी अधिकारों पर चर्चा करते हुए बताया कि संविधान उनके लिए ढाल और तलवार है। उन्होंने वर्तमान चुनौतियों और पहचान पर हो रहे हमलों की गंभीरता को रेखांकित किया। क्या हम इस साजिश को रोक पाएंगे?

Key Takeaways

  • संविधान आदिवासियों के लिए ढाल और तलवार है।
  • आदिवासी संस्कृति और पहचान की सुरक्षा आवश्यक है।
  • आरटीआई का कार्यान्वयन नागरिकों को सशक्त बनाता है।
  • आदिवासी समुदाय ने हमेशा दमन के खिलाफ आवाज उठाई है।
  • वोट का अधिकार आदिवासियों की पहचान का एक हिस्सा है।

रांची, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने रविवार को आदिवासी-मूलवासी प्रोफेसर एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन का विषय था, "संविधान में आदिवासी-मूलवासी अधिकार बनाम जमीनी हकीकत: झारखंड की युवा पीढ़ी के लिए चुनौतियां और उनका वोट का अधिकार।"

पवन खेड़ा ने अपने संबोधन में आदिवासियों के ऐतिहासिक संघर्ष, उनकी संस्कृति और संवैधानिक अधिकारों पर जोर दिया, साथ ही वर्तमान चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए की। उन्होंने कहा, "शिबू सोरेन का जल, जंगल, जमीन और आदिवासी पहचान को बचाने का संघर्ष प्रेरणादायक है। यह संघर्ष संथाल परगना से 1857 से भी पहले शुरू हुआ था। आदिवासियों ने हमेशा दमन के खिलाफ आवाज उठाई, जिसने पूरे देश को प्रेरित किया।"

उन्होंने जवाहरलाल नेहरू और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान सभा में आदिवासियों की संस्कृति, ज्ञान और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पांचवीं और छठी अनुसूची में विशेष प्रावधान किए गए। आदिवासियों ने देश के विकास में भारी कीमत चुकाई है। खनन और औद्योगिक गतिविधियों का सबसे ज्यादा नुकसान आदिवासियों को हुआ।

उन्होंने यूपीए-2 के कार्यकाल में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लागू वन अधिकार कानून को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि आज आदिवासियों की पहचान और अधिकारों पर हमला हो रहा है। आपकी भाषा, भोजन, पहनावा और संस्कृति आपकी पहचान है। संविधान आपकी ढाल और तलवार है। यह आपका वोट है, जो आपको सशक्त बनाता है।

उन्होंने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा की है। खेड़ा ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार वोटर लिस्ट से आदिवासियों और गरीबों के नाम हटा रही है, जिसका मकसद उनकी जमीन और पहचान छीनना है।

उन्होंने कहा, "यह साजिश नई नहीं है। सैकड़ों सालों से आदिवासियों को दबाने की कोशिश हो रही है। हमें 'वनवासी' कहने वाले कौन होते हैं? जब तक संविधान आपके पास है, आपकी जमीन, जंगल और जल सुरक्षित हैं।"

पवन खेड़ा ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि 12 अक्टूबर 2005 को कांग्रेस सरकार ने आरटीआई लागू किया था, जो नागरिकों को सशक्त बनाने का हथियार था, लेकिन 2014 के बाद इसे धीरे-धीरे कमजोर कर दिया गया।

उन्होंने कहा, "आरटीआई की हत्या कर दी गई। बंद कमरों में लिए गए फैसलों की जानकारी अब जनता को नहीं मिलती।"

Point of View

हमें आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। यह न केवल उनके लिए, बल्कि देश के लिए भी महत्वपूर्ण है। संविधान हमें जो अधिकार देता है, उसकी रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
NationPress
12/10/2025

Frequently Asked Questions

कांग्रेस ने आदिवासी अधिकारों की रक्षा कैसे की है?
कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई है और कई कानून लागू किए हैं जो उनके हितों की सुरक्षा करते हैं।
आरटीआई का क्या महत्व है?
आरटीआई नागरिकों को जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है, जिससे वे सरकारी कार्यों पर नजर रख सकते हैं।
आदिवासी पहचान को खतरा क्यों है?
वर्तमान सरकार की नीतियों के कारण आदिवासी पहचान और उनके अधिकारों पर हमले हो रहे हैं।