क्या अदाणी पोर्ट्स इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 में भारत की ब्लू इकोनॉमी क्षमता को प्रदर्शित करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- टेक्नोलॉजी और इनॉवेशन के माध्यम से ब्लू इकोनॉमी में आत्मनिर्भरता।
- आईएमडब्ल्यू 2025 में 1,00,000 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी।
- महिला सशक्तिकरण और एआई-संचालित लॉजिस्टिक्स का महत्व।
- प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति से कार्यक्रम की महत्ता बढ़ेगी।
- ग्लोबल मैरीटाइम हब बनने की दिशा में तेजी से कदम।
मुंबई, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। देश की प्रमुख पोर्ट डेवलपर एवं ऑपरेटर अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमी जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) इंडिया मैरीटाइम वीक (आईएमडब्ल्यू) 2025 में यह दिखाएगा कि कैसे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के माध्यम से ब्लू इकोनॉमी में देश आत्मनिर्भर हो रहा है।
27-31 अक्टूबर तक मुंबई के बॉम्बे एग्जीबिशन सेंटर में आयोजित होने वाला आईएमडब्ल्यू 2025, भारत के मैरीटाइम सेक्टर की दृष्टि को प्रदर्शित करता है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत भारतीय बंदरगाह संघ (आईपीए) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 1,00,000 से अधिक प्रतिनिधि, 500 से अधिक प्रदर्शक, 200 से अधिक ग्लोबल स्पीकर और 100 से अधिक देशों के प्रतिभागी ग्लोबल मैरीटाइम इकोनॉमी के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए एकत्र होंगे।
अदाणी ग्रुप ने कहा कि आईएमडब्ल्यू में मुख्य आकर्षण अदाणी पोर्ट्स की पवेलियन होगी, जो देश के मैरीटाइम सेक्टर के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करेगी। यहाँ यह दर्शाया जाएगा कि कैसे टेक्नोलॉजी और मेक-इन-इंडिया इनोवेशन देश की मैरीटाइम ग्रोथ स्टोरी को पुनः परिभाषित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 अक्टूबर को आईएमडब्ल्यू 2025 में भाग लेंगे, जिसके बाद ग्लोबल मैरीटाइम सीईओ फोरम की बैठक होगी, जो मैरीटाइम वर्ल्ड का नेतृत्व करने की भारत की महत्वाकांक्षा को और स्पष्ट करेगी।
पिछले एक दशक में, भारत का मैरीटाइम सेक्टर सागरमाला और मैरीटाइम विजन 2030 के तहत तेजी से विकसित हुआ है, जिसमें बंदरगाहों, नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्गों में 150 से अधिक पहल शामिल हैं। इन प्रमुख कार्यक्रमों का उद्देश्य बंदरगाह-आधारित विकास को बढ़ावा देकर, रसद लागत को कम करके और टिकाऊ तटीय बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए भारत को एक ग्लोबल मैरीटाइम हब के रूप में स्थापित करना है।
आईएमडब्ल्यू 2025 में अदाणी पोर्ट्स की पवेलियन चार मुख्य स्तंभों - आत्मनिर्भर भारत, महिला सशक्तिकरण, एआई-संचालित लॉजिस्टिक्स और प्रभाव पर आधारित होगी। इस वर्ष का मुख्य फोकस उन समझौतों पर हस्ताक्षर करना है जो मेक-इन-इंडिया ढांचे के अंतर्गत भारत की बंदरगाह, ड्रेजिंग और बंदरगाह क्षमताओं को आगे बढ़ाएंगे।
अपने हार्बर बिजनेस के तहत, एपीएसईजेड कई दीर्घकालिक समझौतों पर हस्ताक्षर करेगा जो समुद्री सेवाओं में उसके नेतृत्व को और मजबूत करेंगे। यह प्रमुख बंदरगाह कंपनी मुंबई बंदरगाह प्राधिकरण के साथ सात वर्षों के लिए छह एएसटीडीएस टग और 15 वर्षों के लिए एक ग्रीन टग की आपूर्ति और चार्टर किराए के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर करेगी।
ड्रेजिंग सेगमेंट के तहत, एपीएसईजेड एक सेल्फ-प्रोपेल्ड ग्रैब ड्रेजर के निर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा, जो स्वदेशी समुद्री इंजीनियरिंग में एक और मील का पत्थर होगा।
भारत की ब्लू इकोनॉमी का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 4 प्रतिशत (13.2 अरब डॉलर) का योगदान है। मत्स्य पालन, नवीकरणीय ऊर्जा, तटीय पर्यटन और रसद के क्षेत्र में तेजी से विकास का एक प्रमुख केंद्र बन रही है। बंदरगाह के बुनियादी ढांचे और ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (जीटीटीपी) जैसी ग्रीन इनिशिएटिव्स में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति के साथ, मैरीटाइम सेक्टर में स्थिरता और आत्मनिर्भरता तेजी से बढ़ रही है।