क्या प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा को लेकर अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी से चर्चा की?
सारांश
Key Takeaways
- प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है।
- अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की।
- भाजपा शासित राज्यों में मजदूरों के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है।
- केंद्र सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
- हाल की घटनाएँ प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती हैं।
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि हाल ही में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसके तहत वे दिल्ली आए थे। इस दौरान संयोगवश उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का मौका मिला।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात में सभी आवश्यक मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा, "जैसे ही मैं प्रधानमंत्री से मिला, मैंने उनसे कई मुद्दों पर चर्चा की। यह मेरा कर्तव्य है। दिल्ली पश्चिम बंगाल में नहीं है, इसलिए पश्चिम बंगाल से दिल्ली आना अनिवार्य है।"
इसके साथ ही, उन्होंने पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों के साथ हो रहे कथित अत्याचारों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर भाजपा शासित राज्यों में बंगाल से आए मजदूरों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके लोगों पर गंभीर अत्याचार हो रहे हैं और उन्हें लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
कांग्रेस नेता ने एक हालिया घटना का जिक्र करते हुए बताया कि कुछ दिन पहले ओडिशा के संबलपुर जिले में मुर्शिदाबाद के एक प्रवासी मजदूर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
उन्होंने इसे बेहद दुखद और शर्मनाक बताते हुए कहा कि यह घटना प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उन्होंने इस विषय में प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिखा है। पत्र में उन्होंने बंगाल के मजदूरों के साथ घटित मामलों का विस्तार से उल्लेख किया है।
उन्होंने कहा, "मैंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि भाजपा शासित राज्यों में प्रवासी मजदूरों के साथ हो रहे अत्याचारों को रोका जाए। आप देश के प्रधानमंत्री हैं, इसलिए इस पर ठोस कदम उठाना आपकी जिम्मेदारी है।"
उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे ताकि देश में कहीं भी किसी मजदूर के साथ अन्याय न हो।