क्या सुप्रीम कोर्ट में एआई के बढ़ते दुरुपयोग पर जनहित याचिका दायर हुई?

सारांश
Key Takeaways
- एआई का दुरुपयोग नागरिकों के अधिकारों के लिए खतरा है।
- सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका स्वीकार की है।
- संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की गई है।
- डीपफेक तकनीक पर नियंत्रण की आवश्यकता है।
- राष्ट्रीय एआई रेगुलेटरी बॉडी की मांग की गई है।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। देश में तेजी से बढ़ रहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के दुरुपयोग को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र सरकार को निर्देश दे कि एआई टेक्नोलॉजी के लिए एक व्यापक नियामक और लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क तैयार किया जाए।
याचिका में स्पष्ट किया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनियंत्रित उपयोग के चलते नागरिकों की निजता, गरिमा और मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हो रहा है। हाल के महीनों में डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग तेजी से बढ़ा है, जिसने केवल आम नागरिकों को ही नहीं, बल्कि सेलिब्रिटीज, पत्रकारों और सार्वजनिक हस्तियों को भी निशाना बनाया है।
याचिका में कहा गया है कि बिना किसी नियंत्रण या जवाबदेही के एआई आधारित सिस्टम का इस्तेमाल कर लोगों की आवाज़, चेहरा और व्यवहार की नकल की जा रही है। इसे डीपफेक कहा जाता है। इससे न केवल लोगों की छवि धूमिल हो रही है, बल्कि साइबर अपराध, ब्लैकमेलिंग और फेक न्यूज जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह भी अपील की गई है कि वह केंद्र सरकार को निर्देश दे कि एआई टेक्नोलॉजी से जुड़े प्लेटफार्मों की जवाबदेही तय करने के लिए एक राष्ट्रीय एआई रेगुलेटरी बॉडी का गठन किया जाए। यह संस्था डीपफेक और अन्य हानिकारक एआई कंटेंट पर निगरानी रखेगी और उनके खिलाफ कड़े कदम उठाएगी।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पहले से ही एआई और डीपफेक से संबंधित कई मामले लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि इन सभी मामलों को अपने पास ट्रांसफर किया जाए, ताकि इस विषय पर एक समान दिशा-निर्देश तय किए जा सकें।
याचिका में कहा गया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत यह याचिका दायर की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से परमादेश जारी करने की मांग की गई है ताकि केंद्र सरकार को एआई के दुरुपयोग पर तुरंत नियंत्रण के लिए ठोस कानून बनाने के लिए बाध्य किया जा सके।
पिछले एक वर्ष में भारत में एआई तकनीक की पहुंच तेजी से बढ़ी है। पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो, फोटो और ऑडियो सामने आए हैं जो पूरी तरह से एआई जनरेटेड डीपफेक हैं।