क्या एआईएमआईएम, एएसपी और एजेपी ने मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस का गठन किया?

सारांश
Key Takeaways
- गठबंधन का उद्देश्य दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की रक्षा करना है।
- यह नया मोर्चा महागठबंधन और एनडीए से अलग है।
- गठबंधन ने 64 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है।
किशनगंज, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की राजनीति में बुधवार को एक नया मोड़ आया, जब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), आजाद समाज पार्टी (एएसपी) और अपनी जनता पार्टी (एजेपी) ने मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस (जीडीए) का गठन किया। यह नया गठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे के रूप में उभरेगा, जो दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हितों के लिए आवाज उठाने का दावा कर रहा है।
किशनगंज में एआईएमआईएम के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने इस गठबंधन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जीडीए बिहार की 64 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा, जिसमें एआईएमआईएम 35 सीटों, एएसपी 25 सीटों और एजेपी 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
अख्तरुल ईमान ने जोर देकर कहा कि यह गठबंधन बिहार की जनता को एक नया विकल्प देगा, जो महागठबंधन और एनडीए से इतर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए संघर्ष करेगा।
उन्होंने महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि सेक्युलर वोटों को एकजुट करने की उनकी कोशिश नाकाम रही, जिसके चलते यह नया गठबंधन बनाना पड़ा। यह गठबंधन न केवल बिहार, बल्कि अन्य राज्यों में भी अपनी छाप छोड़ेगा। एआईएमआईएम ने पहले ही सीमांचल सहित 16 जिलों की 32 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है।
आजाद समाज पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जौहर आजाद ने इस गठबंधन को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह बिहार में एक ताकतवर ताकत बनेगा, जो मजलूमों के हक और हकूक की लड़ाई लड़ेगा। यह गठबंधन सामाजिक न्याय और समानता के लिए काम करेगा।
वहीं, आदिल हसन ने केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 2005 से बिहार में नफरत की सौदागरी की जा रही है और केंद्र सरकार ने पिछले 11 सालों में बिहार के साथ छल किया है।
उन्होंने बिहार में बढ़ते पलायन, बेरोजगारी और बदहाली का जिक्र करते हुए कहा कि जनता इसका जवाब जरूर देगी।