क्या देहरादून में दीपावली की तैयारियां तेज हो गई हैं?

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क्या देहरादून में दीपावली की तैयारियां तेज हो गई हैं?

सारांश

देहरादून में दीपावली के पावन पर्व के लिए तैयारियां तेज़ी से चल रही हैं। कुम्हार मंडी में मिट्टी के दीए, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों और करवे की मांग बढ़ रही है। स्थानीय कुम्हार दिन-रात काम कर रहे हैं और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

Key Takeaways

  • दीपावली के लिए तैयारियों में स्थानीय कुम्हारों की मेहनत प्रमुख है।
  • मिट्टी के दीए और मूर्तियों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
  • स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का प्रभाव स्पष्ट है।
  • मिट्टी की कमी कुम्हारों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
  • दीपावली पर मिठाईयों की मांग भी बढ़ी है।

देहरादून, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपावली का पावन पर्व नजदीक आने के साथ ही राजधानी देहरादून में तैयारियां तेज़ी से शुरू हो चुकी हैं। बाजारों में रौनक बढ़ने के साथ-साथ मिट्टी के दीए, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और करवे की मांग में स्पष्ट वृद्धि देखी जा रही है।

विशेष रूप से, चकराता रोड स्थित कुम्हार मंडी में कुम्हार दिन-रात मिट्टी के दीए और मूर्तियां तैयार करने में लगे हुए हैं। इस बार स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने वाले सरकारी अभियान का असर भी स्पष्ट दिख रहा है, जिससे स्थानीय कुम्हारों के उत्पादों की मांग में इजाफा हुआ है।

कुम्हार मंडी के कारीगर दीपावली से छह महीने पहले से ही तैयारियां आरंभ कर देते हैं। रंग-बिरंगे और आकर्षक डिज़ाइनों वाले दीए और मूर्तियां तैयार की जा रही हैं, जो उपभोक्ताओं को बहुत पसंद आ रही हैं। हालांकि, कुम्हारों के लिए मिट्टी की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

कुम्हारों का कहना है कि कुछ चुनिंदा स्थानों से ही उपयुक्त मिट्टी प्राप्त होती है, और इसकी कमी के चलते दीए बनाने में कठिनाइयाँ आ रही हैं। कई कुम्हारों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सरकार से पर्याप्त मिट्टी उपलब्ध कराने की मांग की है। इस कमी के कारण कुछ कुम्हारों को गुजरात, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई जैसे राज्यों से सामग्री मंगवानी पड़ रही है।

इस वर्ष मानसून के दौरान भारी बारिश ने भी कुम्हारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अत्यधिक बारिश के कारण कई कुम्हार पर्याप्त मात्रा में दीए नहीं बना पाए। फिर भी, मिट्टी के दीए और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों की मांग में कोई कमी नहीं आई है।

कुछ कुम्हारों ने बताया कि उनके द्वारा बनाए गए दीए थोक में बिक चुके हैं, जिसके चलते अब वे अन्य राज्यों से फैंसी दीए और मूर्तियां मंगा रहे हैं।

वहीं, कुछ दुकानदारों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर बने मिट्टी के दीए और मूर्तियां ग्राहकों की पहली पसंद हैं, क्योंकि ये हमारी संस्कृति से जुड़े हुए हैं और मिट्टी की शुद्धता को महत्व दिया जा रहा है।

दीपावली की खरीदारी शुरू हो चुकी है और लोग मिट्टी के दीए, करवे और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। उपभोक्ताओं का मानना है कि मिट्टी के दीए और मूर्तियां न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर हैं, बल्कि ये दीपावली पूजन के लिए शुद्ध और शास्त्र सम्मत भी हैं। वहीं, दीपावली के अवसर पर मिठाइयों की मांग भी बढ़ गई है।

देहरादून में दीपावली की तैयारियां जारी हैं। कुम्हार मंडी के कारीगरों की मेहनत और स्वदेशी उत्पादों के प्रति लोगों का रुझान इस पर्व को और भी खास बना रहा है।

Point of View

देहरादून में दीपावली की तैयारियाँ न केवल कुम्हारों के लिए एक अवसर हैं, बल्कि यह संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है। स्थानीय उत्पादों के प्रति लोगों की रुचि और कुम्हारों की मेहनत इस पर्व को और भी खास बना रही है।
NationPress
15/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या कुम्हार मंडी में दीयों की मांग बढ़ी है?
हां, दीपावली के पर्व के चलते कुम्हार मंडी में मिट्टी के दीयों की मांग में वृद्धि हुई है।
क्या कुम्हारों को मिट्टी की कमी का सामना करना पड़ रहा है?
जी हां, कई कुम्हारों को मिट्टी की कमी के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
क्या लोग स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं?
बिल्कुल, स्थानीय लोग स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
क्या दीपावली के लिए अन्य राज्यों से सामग्री मंगाई जा रही है?
जी हां, कुछ कुम्हारों को अन्य राज्यों से सामग्री मंगवानी पड़ रही है।
क्या दीपावली पर मिठाइयों की मांग बढ़ी है?
हां, दीपावली के अवसर पर मिठाइयों की मांग में भी वृद्धि हुई है।