क्या अखिलेश यादव के आरोपों का यूपी सीईओ ने दिया जवाब?

सारांश
Key Takeaways
- अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए।
- यूपी के सीईओ ने कहा कि कोई मूल शपथपत्र प्राप्त नहीं हुआ।
- एआई का उपयोग त्रुटियों को सुधारने में किया गया था।
लखनऊ, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 1 सितंबर को चुनाव आयोग पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जब 'जुगाड़ आयोग' एआई के माध्यम से सवा करोड़ का घपला पकड़ सकता है, तो फिर हमारे द्वारा दिए गए 18 हजार शपथपत्रों में से केवल 14 का ही जवाब क्यों दिया गया, शेष 17,986 का नहीं? इस पर उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) ने शुक्रवार को स्पष्ट उत्तर दिया।
सीईओ ने अखिलेश की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए बताया कि मतदाता सूची में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से त्रुटियों को खोजने और सुधारने का कार्य राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया है, न कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा।
उन्होंने एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा, "एआई माध्यम से मतदाता सूचियों में त्रुटियों को खोजकर सुधारने का कार्य राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया था। भारत निर्वाचन आयोग लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद के चुनावों से संबंधित मतदाता सूचियों को बनाने और उनके रखरखाव का कार्य करता है।"
सीईओ ने आगे कहा, "आम जनता और मीडिया में दोनों आयोगों के कार्य में अंतर की स्पष्टता नहीं रहती। यहां तक कि सरकारी अधिकारी भी इस भिन्नता को नहीं समझते। एआई का प्रयोग कर मतदाता सूची को शुद्ध करने की जानकारी भारत निर्वाचन आयोग से संबंधित नहीं है।"
मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि 18 हजार शपथपत्रों के संबंध में यह मामला भारत निर्वाचन आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश से संबंधित है। जिला निर्वाचन अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार 4 सितंबर 2025 तक वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम गलत ढंग से काटने की शिकायत से संबंधित तथाकथित 18 हजार शपथपत्रों में से एक भी मूल शपथपत्र संबंधित 33 जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों और 74 विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों को प्राप्त नहीं हुआ है।
आयोग ने आगे कहा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश के कार्यालय में भी 4 सितंबर 2025 तक इस संबंध में कोई शपथपत्र मूल रूप में प्राप्त नहीं हुआ है। शिकायत से संबंधित मूल शपथपत्र प्राप्त होते ही तत्परता से जांच पूर्ण कर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी और आम जनता को अवगत कराया जाएगा।