क्या अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद सिद्दीकी 13 दिन की ईडी हिरासत में हैं?
सारांश
Key Takeaways
- जावेद सिद्दीकी को ईडी की हिरासत में रखा गया है।
- उन पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं।
- यूनिवर्सिटी में फर्जी मान्यता का मामला सामने आया है।
- कुल मिलाकर लगभग 415.10 करोड़ रुपए की राशि का गबन हुआ है।
- जांच दिल्ली पुलिस की एफआईआर से शुरू हुई।
नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की 13 दिनों की हिरासत में रखा गया है। पूछताछ के दौरान कई महत्वपूर्ण खुलासे होने की आशंका है।
ईडी ने जावेद को मंगलवार देर रात दिल्ली की साकेत कोर्ट में पेश किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी ने बुधवार रात करीब एक बजे जावेद को ईडी रिमांड पर भेजने का आदेश जारी किया।
अपने आदेश में न्यायाधीश ने कहा कि ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का पालन किया है, और अपराध की गंभीरता को देखते हुए सिद्दीकी को 13 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेजा जाना चाहिए।
जावेद को मंगलवार को दिल्ली में लाल किले के पास हुए आतंकी हमले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया।
यूनिवर्सिटी द्वारा किए जा रहे कथित फर्जी मान्यता और भ्रामक दावों की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है।
रिमांड नोट के अनुसार, इस संस्था ने पिछले कई वर्षों में छात्रों को भ्रमित कर न केवल एडमिशन लिए, बल्कि भारी भरकम राशि भी वसूली है। आईटीआर के विश्लेषण से यह भी पता चला है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2024-25 तक यूनिवर्सिटी ने करोड़ों रुपए की आय दिखाई।
ईडी की जांच में पता चला कि वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015-16 में क्रमश: 30.89 करोड़ और 29.48 करोड़ रुपए को स्वैच्छिक योगदान बताया गया, लेकिन 2016-17 के बाद इनकम को सीधे मेन ऑब्जेक्ट या एजुकेशनल रेवेन्यू के रूप में दिखाया जाने लगा।
जांच में यह भी पाया गया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 24.21 करोड़ रुपए और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 80.01 करोड़ रुपए की आय दर्ज की गई। कुल मिलाकर, कथित तौर पर फर्जी मान्यता के नाम पर लगभग 415.10 करोड़ रुपए की राशि हासिल की गई।
एजेंसियों का दावा है कि यूनिवर्सिटी ने झूठे दावों और भ्रामक प्रैक्टिस के जरिए छात्रों के विश्वास, भविष्य और उम्मीदों के साथ खिलवाड़ किया। इस मामले में ईडी की जांच दिल्ली पुलिस की एफआईआर से शुरू हुई, जिसके आधार पर अब मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से भी पड़ताल जारी है।