क्या अलीगढ़ में कांवड़ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं, घंटी-घुंघरू की मांग क्यों बढ़ी?

सारांश
Key Takeaways
- सावन का महीना अलीगढ़ में विशेष तैयारियों का समय है।
- भगवान शिव के भक्तों में घंटी और घुंघरू की खरीदारी का बढ़ता उत्साह।
- नई डाक कांवड़ ने व्यापार को नई रफ्तार दी है।
- अलीगढ़ का कारोबार 100 वर्षों से अधिक पुराना है।
- उत्पाद देशभर में विभिन्न स्थानों पर भेजे जा रहे हैं।
अलीगढ़, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। जैसे-जैसे सावन का पवित्र महीना नजदीक आता है, अलीगढ़ में कांवड़ यात्रा की तैयारियों में तेजी आ रही है। इस समय भगवान शिव के भक्तों के बीच घंटी और घुंघरू की खरीदारी का उत्साह अपने चरम पर है।
स्थानीय बाजारों में इस वर्ष नई डाक कांवड़ भी व्यापारियों द्वारा पेश की गई है, जो भक्तों के बीच आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन गई है। अलीगढ़ के व्यापारी पिछले 11 महीनों से घंटी और घुंघरू बनाने में लगे हुए हैं, जिनकी मांग अब देश के विभिन्न हिस्सों में बढ़ती जा रही है।
अलीगढ़, जो पहले ताले और तालीम के लिए जाना जाता था, अब घंटी और घुंघरू के कारोबार में भी अपनी पहचान बना रहा है। यहां तैयार किए गए ये उत्पाद हरिद्वार, बिहार, उज्जैन जैसे कई शहरों में भेजे जा रहे हैं।
व्यापारी चंद्रशेखर शर्मा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "सावन में कांवड़ यात्रा के लिए हम विशेष सामान तैयार करते हैं। घंटी, घुंघरू और कावड़ सजाने की अन्य एक्सेसरीज बनाई जाती हैं। इस बार हमने लोहे की घंटियों को पीतल के रूप में सजाकर फैंसी लुक दिया है, ताकि कांवड़िए इन्हें आसानी से खरीद सकें।"
उन्होंने बताया कि यह कारोबार 100 वर्षों से भी पुराना है और इसके सामान देशभर के शिव मंदिरों, विशेषकर गंगा घाटों पर पहुंचते हैं।
कारीगर दिनेश कुमार शर्मा ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया, "हमारे द्वारा बनाई गई घंटी और घुंघरू कांवड़ यात्रा में उपयोग की जाती हैं। ये भारत के अलावा कई अन्य देशों में भी भेजी जाती हैं। इससे हमें अच्छी आय होती है।"
अन्य व्यापारियों का कहना है कि सावन के लिए पूरे वर्ष तैयारी की जाती है, ताकि भक्तों को बेहतरीन और आकर्षक सामान मिल सके। इस बार बाजार में नई डाक कांवड़ की उपलब्धता ने भी व्यापार को नई गति प्रदान की है।