क्या अमेरिकी कंपनी भारत को लड़ाकू विमानों के इंजन देगी? एचएएल के साथ हुआ समझौता

Click to start listening
क्या अमेरिकी कंपनी भारत को लड़ाकू विमानों के इंजन देगी? एचएएल के साथ हुआ समझौता

सारांश

भारत के एचएएल और जनरल इलेक्ट्रिक के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते से स्वदेशी लड़ाकू विमानों के इंजन की सप्लाई में तेजी आएगी, जो वायुसेना की ताकत बढ़ाने में सहायक होगा। जानें, इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ।

Key Takeaways

  • भारत के लिए 113 जेट इंजन की सप्लाई का समझौता
  • 62,370 करोड़ रुपए का रक्षा अनुबंध
  • स्वदेशी लड़ाकू विमानों का उत्पादन बढ़ाने में मदद
  • जेट इंजन की डिलीवरी 2032 तक होगी
  • 64% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग

नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस) भारत की हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और अमेरिकन कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के बीच शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। यह समझौता भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमानों के इंजन के लिए है। अमेरिकी कंपनी इस समझौते के तहत भारत को 113 जेट इंजन सप्लाई करेगी। जेट इंजन की यह सप्लाई वर्ष 2032 तक पूरी होने की संभावना है।

एचएएल ने 7 नवंबर को जीई के साथ इसके लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते में कुल 113 एफ 404‑जीई‑आईएन 20 इंजन एवं 97 एलसीए एमके 1ए कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए स्पोर्ट पैकेज शामिल हैं। यह समझौता भारत के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, एलसीए एमके 1ए कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए है।

आपको बता दें कि इससे पहले 2021 में दोनों कंपनियों के बीच 99 इंजन का एक समझौता हुआ था, लेकिन नया समझौता (113 इंजन) उसका फॉलो-ऑन ऑर्डर है। दरअसल, बीते दिनों भारतीय वायुसेना को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए एक नया अनुबंध किया गया था। इस करार के मुताबिक, 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से भारतीय वायुसेना को 97 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराए जाएंगे।

भारतीय फाइटर जेट एलसीए एमके-1ए के निर्माण में तेजी आ रही है। इस श्रेणी के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस एलसीए एमके-1ए के लिए भारत के एचएएल को सितंबर अंत तक चार जीई-404 जेट इंजन मिले थे। एचएएल को इस वित्त वर्ष के अंत तक कुल 12 जीई-404 जेट इंजन मिलने की संभावना है। ये सभी इंजन भारतीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए में लगाए जाएंगे।

एचएएल के मुताबिक, जेट इंजन की आपूर्ति तेज होने से लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए के उत्पादन और वायुसेना को इसकी डिलीवरी में गति आएगी। दरअसल भारतीय वायुसेना ने तेजस एमके-1ए विमानों के निर्माण का ऑर्डर दिया है, जिन्हें आने वाले वर्षों में क्रमिक रूप से डिलीवर किया जाएगा। यह विमान आधुनिक एवियोनिक्स, बेहतर हथियार क्षमता और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस होंगे।

नए अनुबंध के मुताबिक 68 सिंगल-सीटर लड़ाकू विमान और 29 ट्विन-सीटर ट्रेनेर विमान भारतीय वायुसेना को मिलने हैं। लड़ाकू विमानों की डिलीवरी की समय-सीमा की बात करें तो इन विमानों की डिलीवरी वर्ष 2027-28 से शुरू होगी। तय अनुबंध के मुताबिक भारतीय वायुसेना को इन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति अगले छह वर्षों में चरणबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी। ये विमान स्वदेशीकरण पर आधारित होंगे और इनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीकी विशेषताएं होंगी।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस परियोजना में 64 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा।

Point of View

जो न केवल हमारी आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर हमारी स्थिति को भी मजबूत करेगा। यह कदम भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
NationPress
07/11/2025

Frequently Asked Questions

एचएएल और जनरल इलेक्ट्रिक के बीच समझौता क्या है?
यह समझौता एचएएल और जनरल इलेक्ट्रिक के बीच 113 जेट इंजन की सप्लाई के लिए है।
इन जेट इंजनों की सप्लाई कब तक होगी?
जेट इंजनों की सप्लाई वर्ष 2032 तक पूरी होने की संभावना है।
इस समझौते का महत्व क्या है?
यह समझौता भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमानों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगा।
इस परियोजना में कितनी स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा?
इस परियोजना में 64 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा।
भारतीय वायुसेना को कितने विमानों की डिलीवरी होगी?
भारतीय वायुसेना को 97 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की डिलीवरी होगी।