क्या बिहार एसआईआर पर अमित मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर फैली भ्रांतियों को खारिज किया?

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क्या बिहार एसआईआर पर अमित मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर फैली भ्रांतियों को खारिज किया?

सारांश

अमित मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर फैली भ्रांतियों को स्पष्ट किया है। जानें, क्यों आधार कार्ड एसआईआर के लिए मान्य नहीं है और क्या हैं इसके पीछे के तथ्य।

Key Takeaways

  • अमित मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्पष्टता दी।
  • आधार कार्ड एसआईआर में मान्य नहीं है।
  • ६५ लाख नामों में से ८४,३०५ आपत्तियां आईं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने बीएलए को रोज़ाना १० मतदाताओं को पुनः सूची में शामिल करने का निर्देश दिया।
  • सिर्फ भारतीय नागरिक अगली सरकार का निर्वाचन कर सकेंगे।

नई दिल्ली, २४ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट के २२ अगस्त के आदेश के बाद उत्पन्न हुई कई गलत व्याख्याओं पर स्पष्टता प्रदान की है, विशेषकर आधार से संबंधित त्रुटिपूर्ण दावों के संदर्भ में।

अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी यह नहीं कहा, न ही इशारा किया कि एसआईआर के लिए आधार कार्ड को मान्य दस्तावेज के रूप में माना जाए। उन्होंने कहा, "बार-बार न्यायालय की पॉइंट 9 को पढ़ें, कहीं ऐसा मार्गदर्शन नहीं है।"

मालवीय ने 'एक्स' पोस्ट में लिखा कि राष्ट्रीय मतदाता पंजीकरण अधिनियम, १९५० की धारा १६ बताती है कि कोई व्यक्ति वोटर सूची में तभी शामिल हो सकता है, जब वह भारतीय नागरिक हो, मानसिक रूप से स्वस्थ हो, और किसी चुनाव या भ्रष्टाचार अपराध के तहत अयोग्य घोषित न हो।

उन्होंने आधार अधिनियम का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल पहचान और निवास प्रमाण के लिए है, जबकि नागरिकता या निवास की पुष्टि का प्रमाण नहीं है। इसका अर्थ है कि यदि आधार को ही वोटर सूची में शामिल होने के लिए पर्याप्त माना जाए, तो धारा १६ और आधार अधिनियम दोनों ही निरर्थक हो जाएंगे।

यह वही सुप्रीम कोर्ट की बेंच थी, जिसने १२ अगस्त को स्पष्ट किया था कि आधार नागरिकता साबित करने वाला वैध दस्तावेज नहीं है।

अमित मालवीय ने चेतावनी दी है कि सुप्रीम कोर्ट को बिना बताए कुछ कहना अदालत का अपमान हो सकता है। उन्होंने मीडिया, राजनीतिक दलों और एक्टिविस्ट्स से अपील की कि वे कोर्ट के शब्दों का गलत प्रचार न करें।

उन्होंने बताया कि ८४,३०५ नामों के विरुद्ध आपत्तियां सीधे मतदाताओं से मिलीं। वहीं २,६३,२५७ नए मतदाताओं ने नामांकन फॉर्म जमा किए। अगर कोई राजनीतिक दल पंजीकृत मतदाता सूची में गलत नाम या छूटे नाम देखता है, तो उसे संबंधित ईआरओ को समय सीमा में लिखित रूप में जानकारी देनी होगी।

मालवीय ने पॉइंट ७ का हवाला देते हुए कहा कि १,६०,८१३ बीएलए नियुक्त किए गए, पर केवल २ आपत्तियां मिलीं। कुछ दलों ने अदालत में कहा कि उनके बीएलए को आपत्तियां दर्ज करने की अनुमति तक नहीं दी जा रही। सुप्रीम कोर्ट ने इस निष्क्रियता पर आश्चर्य जताया।

मालवीय ने 'एक्स' पोस्ट में बिहार में हो रहे मतदाता पुनरीक्षण के तथ्यों के बारे में कुछ इस प्रकार से लिखा।

६५ लाख नाम हटा दिए गए, जिनमें मृत, फर्जी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या नाम शामिल हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि सूची प्रकाशित की जाए, ताकि वास्तविक मतदाता शिकायत कर शामिल हो सकें।

२२ दिनों में केवल ८४,३०५ आपत्तियां आईं, जो कुल ६५ लाख का केवल १.३ प्रतिशत है। यह वोट चोरी के दावे को असंभव बनाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि हर बीएलए प्रतिदिन कम से कम १० वास्तविक मतदाताओं को पुनः सूची में शामिल करे।

एसआईआर प्रक्रिया कायम है। आधार अकेले किसी को मतदाता सूची में शामिल नहीं कर सकता।

मृत, फर्जी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या नाम हटाए जाएंगे। केवल भारतीय नागरिक ही अगली सरकार का निर्वाचन कर सकेंगे।

अमित मालवीय ने 'एक्स' पोस्ट के अंत में लिखा, "प्रचार की खाक में मत खो जाइए। सुप्रीम कोर्ट जमीनी सच्चाई देख रहा है, आपको भी समझ लेना चाहिए।"

Point of View

मैं यह कह सकता हूं कि अमित मालवीय का स्पष्टीकरण महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का सम्मान करना चाहिए और गलत सूचनाओं के प्रसार से बचना चाहिए। यह राष्ट्र के हित में है कि हम तथ्यों पर आधारित संवाद करें।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या आधार कार्ड को एसआईआर में शामिल किया जा सकता है?
नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड को एसआईआर में मान्य दस्तावेज नहीं माना जाएगा।
मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया में कितनी आपत्तियां आईं?
२२ दिनों में केवल ८४,३०५ आपत्तियां आईं, जो कुल ६५ लाख का केवल १.३ प्रतिशत है।