क्या अमित मालवीय ने तेजस्वी को बिहार से विमुख बताया?

सारांश
Key Takeaways
- अमित मालवीय का तेजस्वी यादव पर तीखा हमला।
- राजनीतिक बयानबाजी में धार्मिक भावनाओं को आहत करना विवादित है।
- बिहार की सामाजिक ताने-बाने की महत्ता को समझना आवश्यक।
- एनडीए सरकार की वापसी की संभावनाएं चुनाव परिणामों पर निर्भर।
- तेजस्वी यादव का राजनीतिक विकास पर नजर।
नई दिल्ली, 23 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। एनडीए और महागठबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इसी बीच, भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर तीखे शब्दों में हमला किया।
अमित मालवीय ने मंगलवार को 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए तेजस्वी यादव पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और सामाजिक ताने-बाने से विमुख होने का आरोप लगाया।
उन्होंने लिखा, "तेजस्वी यादव ने पहले नवरात्रि में मछली खाकर मां दुर्गा का अपमान किया, फिर कलम फेंककर मां सरस्वती का। पितृ पक्ष में जब लोग गयाजी में अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान करने आते हैं, तब इस व्यक्ति ने अपनी चुनावी यात्रा निकाली। और फिर सीता माता की धरती पर, देवी पक्ष शुरू होने से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत माता जी को अपने मंच से गालियां दिलवाईं।"
उन्होंने आगे कहा, "ऐसा व्यक्ति, जो बिहार के सामाजिक ताने-बाने से इतना विमुख हो, वह बिहार को कभी स्वीकार नहीं होगा। लालू के जंगलराज का वह भयानक दौर, जिसे बिहारी आज भी नहीं भूले हैं, वही तेजस्वी पर लागू होता है। बिहारियों के सम्मान के लिए, बिहार में फिर से एनडीए सरकार आवश्यक है।"
इससे पहले, मालवीय ने सोमवार को कहा, "24 घंटे से अधिक समय हो गया, लेकिन तेजस्वी यादव को इस बात का जरा भी अफसोस नहीं है कि उनकी सभा में आरजेडी के गुंडों ने प्रधानमंत्री मोदी की दिवंगत माताजी को गाली दी। तेजस्वी के घटिया भाषण के बाद ही उनके कार्यकर्ताओं ने यह दुस्साहस किया- इसके लिए वे खुद जिम्मेदार हैं।"
उन्होंने कहा, "जगजाहिर है, जिसने अपनी सगी बहन को दुत्कार दिया और अपने सगे भाई की पीठ में खंजर घोंपा, उससे किसी महिला के सम्मान की उम्मीद करना बेमानी है। अगर शिक्षा और संस्कार होते तो देवी पक्ष से ठीक पहले इस तरह की ओछी हरकत कभी न करते। बिहार के लोग प्रधानमंत्री मोदी जी की माताजी को दी गई गाली से आहत और आक्रोशित हैं।"