क्या उद्धव और राज ठाकरे मराठी मुद्दे पर दिखा रहे हैं दिखावटी चिंता?

सारांश
Key Takeaways
- अमित साटम ने दिखावटी चिंता का आरोप लगाया।
- उद्धव और राज ठाकरे ने रैली आयोजित की।
- मराठी भाषा का महत्व बताया गया।
- मुख्यमंत्री ने सरकारी प्रस्तावों को रद्द किया।
- राजनीतिक द्वेष को पहचानने की जरूरत।
मुंबई, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा विधायक अमित साटम ने शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे की संयुक्त रैली पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने दोनों नेताओं पर मराठी भाषा के प्रति दिखावटी चिंता जताने का आरोप लगाया।
वास्तव में, महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) और मनसे ने शनिवार को 'विजय उत्सव' नामक रैली का आयोजन किया। वर्षों बाद ठाकरे बंधु उद्धव और राज एक ही मंच पर नजर आए। यह रैली महायुति सरकार द्वारा कक्षा एक से पांच तक मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के दो सरकारी प्रस्तावों को वापस लेने के फैसले का जश्न मनाने के लिए आयोजित की गई थी।
भाजपा विधायक अमित साटम ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "पिछले 11 वर्षों में नरेंद्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस की सरकारों ने महाराष्ट्र और मराठी जनता के लिए कई विकास कार्य किए हैं। चुनाव के समय कुछ लोग मराठी मुद्दे को लेकर दिखावटी चिंता जताते हैं, जबकि मुंबई महानगरपालिका में वर्षों तक सत्ता में रहते हुए उन्होंने कुछ नहीं किया। मराठी भाषा पर हमें गर्व है और हर नागरिक को इसे सीखना चाहिए, लेकिन हिंसा और गुंडागर्दी के माध्यम से मराठी अस्मिता को बदनाम करना पूरी तरह से गलत है। जनता अब ऐसे दोहरे चेहरे वालों का समर्थन नहीं करेगी।"
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 29 जून को कक्षा एक से हिंदी की शुरुआत के दो सरकारी प्रस्तावों को रद्द करने की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में त्रिभाषी फार्मूले की शुरुआत पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए पूर्व योजना आयोग के सदस्य नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की भी घोषणा की।