क्या नक्सली कमांडर हिडमा के खात्मे के बाद अमित शाह का छत्तीसगढ़ दौरा महत्वपूर्ण है?
सारांश
Key Takeaways
- हिडमा का खात्मा सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि है।
- अमित शाह का दौरा बस्तर की सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देगा।
- उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में नक्सल संगठन की स्थिति पर चर्चा होगी।
- अमित शाह सुरक्षाबलों के साथ संवाद करेंगे।
- बस्तर ओलंपिक से जुड़ी गतिविधियों का महत्व।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ में नक्सल अभियान में सुरक्षा बलों को मिली एक बड़ी सफलता के साथ-साथ कुख्यात नक्सली कमांडर हिडमा के खात्मे के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अगले सप्ताह छत्तीसगढ़ का दौरा करेंगे। यह दौरा बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्री अमित शाह 13 दिसंबर को बस्तर पहुंचेंगे। वहां वे बस्तर ओलंपिक से संबंधित विशेष कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस अवसर पर वे बस्तर की सांस्कृतिक पहचान और युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने वाले आयोजनों का भी सम्बोधन कर सकते हैं।
इस दौरे के दौरान गृहमंत्री शाह सुरक्षा एजेंसियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक करेंगे। इस बैठक में हाल ही के ऑपरेशन, नक्सल संगठन की वर्तमान स्थिति और आगे की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। अमित शाह उन सुरक्षाबलों की टीमों से भी सीधे संवाद करेंगे जो हाल ही में चले सफल ऑपरेशन का हिस्सा थीं।
यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हिडमा को लंबे समय से सुरक्षा बलों की सूची में सबसे वांछित नक्सल कमांडरों में से एक माना जाता था। उसके खात्मे को एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
ज्ञात हो कि हिडमा उर्फ संतोष को सबसे वांछित माओवादी कमांडर माना जाता था। उसकी उम्र लगभग 51 वर्ष थी और वह पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की बटालियन नंबर एक का प्रमुख था, जिसे सबसे खतरनाक माओवादी स्ट्राइक यूनिट कहा जाता है। सुकमा जिले के पुरवती गांव में जन्मे, उसने बस्तर दलम और दंडकारण्य विशेष जोनल कमेटी के सदस्य के रूप में काम किया और पिछले दो दशकों में सुरक्षा बलों पर बड़े हमलों का मास्टरमाइंड बन गया। उसने व्यक्तिगत रूप से दंतेवाड़ा और सुकमा में 30 से अधिक हमलों का नेतृत्व किया।
अलग-अलग राज्यों ने हिडमा पर 6 करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया था। वह 25 साल पहले छिप गया था और कम उम्र में ही सेंट्रल कमेटी का सदस्य बन गया था। वह सीपीआई (माओवादी) सेंट्रल कमेटी में छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से एकमात्र आदिवासी था।
कहा जाता है कि हिडमा 2010 में दंतेवाड़ा में सेंट्रल रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 76 जवानों के नरसंहार का मास्टरमाइंड था, जो भारत में सुरक्षा बलों पर माओवादियों का सबसे घातक हमला था। उस पर 2013 में छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में शीर्ष कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोगों की हत्या में शामिल होने का भी शक था। हिडमा को 2021 में छत्तीसगढ़ के सुकमा में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 22 जवानों की हत्या का मास्टरमाइंड भी माना जाता है।