क्या अमित शाह ने नमक क्षेत्र में सहकारी मॉडल को लागू किया? : वलमजी हुंबल

सारांश
Key Takeaways
- अमूल द्वारा नमक उत्पादन में सहकारी मॉडल का कार्यान्वयन
- कच्छ, सुरेंद्रनगर, और बनासकांठा के समुदायों का आर्थिक सशक्तिकरण
- नमक उत्पादन में लाभ 8-10 गुना बढ़ने की संभावना
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नमक का विपणन
- दूसरी श्वेत क्रांति का आगाज
आणंद, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जीसीएमएमएफ अमूल फेडरेशन के उपाध्यक्ष वलमजी हुंबल ने रविवार को जानकारी दी कि सरहद डेयरी की देखरेख में एक नई श्वेत क्रांति की शुरुआत होने जा रही है। यह नमक उत्पादकों के लिए एक उत्कृष्ट मंच होगा। हमारा नमक टाटा की तरह विश्व बाजार में पहुंचेगा। कच्छ के साथ-साथ सुरेंद्रनगर और बनासकांठा के निवासी भी इस पहल से लाभान्वित होंगे।
सरहद डेयरी की देखरेख में नमक उत्पादन के लिए एक नई सहकारी मंडली अगले 15 दिनों में स्थापित की जाएगी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य कच्छ, सुरेंद्रनगर और बनासकांठा के अगरिया समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त करना है। पहले प्रति किलोग्राम नमक पर केवल 35 पैसे का लाभ होता था, लेकिन अब इस सहकारी मंडली के माध्यम से उनकी आमदनी 8 से 10 गुना बढ़ सकती है। नमक उत्पादन के प्लॉट धारकों को भी 5-6 गुना अधिक लाभ मिलेगा।
अमूल इस नमक को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विपणन करेगा, जिससे यह टाटा जैसे ब्रांडों के साथ विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा करेगा। यह मॉडल अमूल की तरह विकसित किया गया है, जिसने दूध के क्षेत्र में सहकारिता आधारित क्रांति लाकर देश को आत्मनिर्भर बनाया। नमक क्षेत्र में सहकारी मॉडल लाने का श्रेय अमित शाह को दिया जाता है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार साल पहले उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी थी, उससे व्यापक परिवर्तन आया है।
वलमजी हुंबल ने कहा कि जैसे दूध के क्षेत्र में अमूल ने एक नया आयाम स्थापित किया, वैसे ही नमक के क्षेत्र में यह सहकारी मंडली भी एक नया आयाम लाएगी। यह सहकारी मंडली कच्छ, सुरेंद्रनगर और बनासकांठा के लगभग 5-6 हजार परिवारों को लाभ पहुंचाएगी। ये क्षेत्र नमक उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं और इस पहल से न केवल स्थानीय समुदाय को आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि वैश्विक बाजार में भारतीय नमक की पहचान भी मजबूत होगी।
हुंबल ने कहा कि अमूल इस नमक का देश-विदेश में विपणन करेगा, जिससे अगरिया समुदाय को उचित मूल्य मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इस सहकारी मंडली की शुरुआत को दूसरी श्वेत क्रांति के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि देश में पहली बार सहकारिता आधारित नमक उत्पादन और विपणन का प्रयास किया जा रहा है। अमूल, जो पहले ही दूध और दुग्ध उत्पादों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है, अब नमक के क्षेत्र में भी उसी तरह की सफलता हासिल करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि सहकारी मंडली टाटा और आशीर्वाद जैसे ब्रांडों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। अगले 15 दिनों में यह नमक बाजार में उपलब्ध होगा। इस पहल से न केवल लोगों की आजीविका में सुधार होगा, बल्कि सहकारिता मॉडल के माध्यम से देश के नमक उद्योग में एक नया अध्याय लिखा जाएगा।