क्या प्यार के चक्कर में सीमा पार करने वाले पाकिस्तानी युवक मोहम्मद अहमद को रिहा किया गया?

सारांश
Key Takeaways
- प्यार की कहानी जिसने सीमा को पार किया।
- अवैध सीमा पार करने के परिणाम और सजा।
- जेल में बिताए गए अनुभव और सीख।
- दोनों देशों के कैदियों की रिहाई की अपील।
- परिवारों का अलगाव और पुनर्मिलन का महत्व।
अमृतसर, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्यार के लिए सीमा पार करने वाले पाकिस्तानी युवक मोहम्मद अहमद को भारत सरकार ने उसकी सजा पूरी होने के बाद रिहा कर दिया है।
25 वर्षीय मोहम्मद अहमद, जो पाकिस्तान के बहावलपुर जिले का निवासी है, अब चार साल के लंबे इंतजार के बाद अपने परिवार के पास लौटने की तैयारी कर रहा है। 4 दिसंबर 2021 को अवैध रूप से सीमा पार करने के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद, उसने लगभग 26 महीने जेल में बिताए। उसकी रिहाई से वह न केवल बेहद खुश है, बल्कि दोनों देशों के कैदियों की रिहाई के लिए भी आवाज उठा रहा है।
मोहम्मद अहमद ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया, "मेरा नाम मोहम्मद अहमद है और मैं पाकिस्तान के बहावलपुर का रहने वाला हूं। 2021 में लॉकडाउन के दौरान मैंने स्नैपचैट पर मुंबई की एक लड़की आलिया से दोस्ती की। वीडियो कॉल और चैट के जरिए हमारी बातचीत बढ़ी और यह धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। आलिया ने मुझे बार-बार बुलाया, लेकिन उस समय वीजा प्रक्रिया बंद थी। वीजा न मिलने पर मैंने जीरो लाइन (सीमा रेखा) पार करने का निर्णय लिया। मैं मुंबई जाकर आलिया से मिलना चाहता था, लेकिन जैसे ही मैंने सीमा पार की, बीएसएफ ने मुझे पकड़ लिया।"
अहमद ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद उसे राजस्थान के अनूपगढ़ सेक्टर से पकड़कर अलवर जेल भेजा गया। वहां उसने 18 महीने बिताए, फिर अक्टूबर 2023 में उसे अमृतसर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। अदालत में पेशी के दौरान आलिया को भी बुलाया गया। कोर्ट में पूछताछ के दौरान आलिया ने यह स्वीकार किया, "हां, मैं इस लड़के को जानती हूं, लेकिन हमारी बातें केवल मजाक थीं। मुझे कभी नहीं लगा कि वह सच में सीमा पार कर आएगा।"
अहमद ने कहा, "मुझे बहुत दुख होता है कि मैंने उस लड़की की बात सुनी और आ गया, लेकिन कोर्ट में उसने अपनी बात से मुकर गई। अब सोचता हूं तो लगता है कि इसमें मेरी खुद की गलती है। प्यार में अंधा होकर मैंने गलती की।"
परिवार के बारे में बताते हुए अहमद ने कहा, "मेरे परिवार में मां-पिता और चार भाई-बहन हैं। वे सभी मेरा इंतजार कर रहे थे। रिहा होने पर मुझे खुशी इस तरह महसूस हो रही है जैसे किसी विकलांग को उसकी टांगें वापस मिल जाएं। जेल में मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। भारतीय जेल प्रशासन ने बहुत सहयोग किया, अच्छा खाना, इलाज और सम्मान दिया।"
उन्होंने कहा कि जेल में रहते हुए उन्होंने अपनी गलती समझी और अब ऐसा नहीं करेंगे।
रिहाई के बाद अहमद ने दोनों देशों की सरकारों से भावुक अपील की और कहा कि मैं भारतीय सरकार से कहना चाहता हूं कि पाकिस्तानी कैदियों के साथ सहयोग करें। हमारे कई साथी 30 साल से जेलों में हैं। मैं अपनी पाकिस्तानी सरकार से भी अनुरोध करता हूं कि भारतीय कैदियों को जल्द रिहा करें। परिवारों को अलगाव का दर्द सहना पड़ता है। सभी को अपने अपनों से मिलने का अवसर मिलना चाहिए।