क्या अंतरराष्ट्रीय स्पर्श हिमालय महोत्सव में किरेन रिजिजू ने लेखक गांव को पवित्र स्थल बताया?

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क्या अंतरराष्ट्रीय स्पर्श हिमालय महोत्सव में किरेन रिजिजू ने लेखक गांव को पवित्र स्थल बताया?

सारांश

अंतरराष्ट्रीय स्पर्श हिमालय महोत्सव में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू की उपस्थिति ने लेखक गांव के महत्व को और बढ़ा दिया। महोत्सव में आध्यात्मिकता, संस्कृति और साहित्य पर गहन चर्चा हुई। जानें इस अद्भुत अवसर के बारे में और किस प्रकार यह आयोजन युवा पीढ़ी को प्रेरित कर रहा है!

Key Takeaways

  • लेखक गांव का स्थान रचनात्मकता का पवित्र स्थल है।
  • किरन रिजिजू ने साहित्य और संस्कृति के महत्व को बताया।
  • महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विमर्श की आवश्यकता है।
  • युवाओं को प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • हिंदुत्व को एक जीवन पद्धति के रूप में समझने की आवश्यकता है।

देहरादून, ३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देहरादून के लेखक गांव में सोमवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्पर्श हिमालय महोत्सव में केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू, मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन, जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी और पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण सहित कई प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया। इस महोत्सव में आध्यात्मिकता, संस्कृति, साहित्य और भारतीय जीवन मूल्यों पर गहन विमर्श हुआ।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि लेखक गांव आना उनके लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है। यह स्थान लेखकों और चिंतकों के लिए प्रेरणादायक वातावरण प्रदान करता है, जहां बैठकर रचनात्मक कार्य करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।

रिजिजू ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य उत्तराखंड और देश के युवाओं के उज्जवल भविष्य की दिशा में चिंतन करना है। उन्होंने यह भी कहा कि यह लेखक गांव पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से प्रेरित होकर स्थापित किया गया है, जिनका साहित्य और संस्कृति के प्रति समर्पण अद्वितीय था।

वहीं, मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि उन्हें भारत के लेखक गांव का वातावरण बेहद पसंद आया है। उन्होंने इस महोत्सव को सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण का उत्कृष्ट माध्यम बताया। रूपन ने कहा कि ऐसे आयोजनों से हमारी संस्कृति और परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलती है। उन्होंने उत्तराखंड के राज्य गठन की २५वीं वर्षगांठ पर उत्तराखंडवासियों को हार्दिक बधाई दी।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि लेखक गांव में आयोजित स्पर्श हिमालय महोत्सव वास्तव में अद्भुत और प्रेरणादायक है। सनातन परंपराओं पर विमर्श करने और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए यह एक आदर्श मंच है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व को सही मायने में समझने की आवश्यकता है, क्योंकि हिंदुत्व कोई संकीर्ण विचारधारा नहीं, बल्कि वह जीवन पद्धति है जिसमें सभी मानवीय संवेदनाएं और भावनाएं समाहित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड को 'आयुष प्रदेश' के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जिससे राज्य ही नहीं, पूरे देश का कल्याण होगा।

जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने कहा कि लेखक गांव भारत की सनातन संस्कृति का जीवंत प्रतीक है, जो सबको साथ लेकर चलने का संदेश देता है। यहां आकर वे अभिभूत हैं, क्योंकि यह स्थल भारत की उस जड़ों से जुड़ी संस्कृति को दर्शाता है, जो समय के साथ मजबूत होती जा रही है।

उन्होंने हिंदू राष्ट्र के सवाल पर कहा कि जैसे अमेरिका में अमेरिकी रहते हैं, जापान में जापानी और ब्रिटेन में ब्रिटिश, उसी तरह भारत में हिंदू रहते हैं, इसलिए भारत हिंदू राष्ट्र है। यह विचार भारतीय संस्कृति की आत्मा का प्रतीक है।

Point of View

बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपराओं को संजोने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। केंद्रीय मंत्रियों और अंतरराष्ट्रीय अतिथियों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि भारतीय संस्कृति की गहराई और महत्व को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। लेखक गांव का यह आयोजन निश्चित रूप से युवाओं को प्रेरित करेगा और उन्हें अपनी जड़ों से जोड़े रखेगा।
NationPress
03/11/2025

Frequently Asked Questions

अंतरराष्ट्रीय स्पर्श हिमालय महोत्सव क्या है?
यह महोत्सव लेखकों, चिंतकों और सांस्कृतिक व्यक्तियों का एकत्रित होने का मंच है, जहां आध्यात्मिकता और साहित्य पर विमर्श होता है।
कौन से प्रमुख व्यक्तियों ने इस महोत्सव में भाग लिया?
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन और आचार्य बालकृष्ण जैसे प्रमुख व्यक्ति शामिल हुए।
इस महोत्सव का उद्देश्य क्या है?
इस महोत्सव का उद्देश्य युवाओं को प्रेरित करना और भारतीय संस्कृति के महत्व को उजागर करना है।
लेखक गांव का महत्व क्या है?
लेखक गांव एक ऐसा स्थान है जो लेखकों और चिंतकों के लिए रचनात्मकता और चिंतन का पवित्र स्थल है।
उत्तराखंड में इस महोत्सव का क्या महत्व है?
यह महोत्सव उत्तराखंड के सांस्कृतिक और साहित्यिक पहचान को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।