क्या अमेरिका ने शांति बिल का स्वागत कर भारत-अमेरिका ऊर्जा साझेदारी को मजबूत किया?
सारांश
Key Takeaways
- परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव
- भारत-अमेरिका ऊर्जा साझेदारी को मजबूती
- शांति बिल का पारित होना
- ऊर्जा सुरक्षा में सुधार
- निजीकरण का रास्ता खोलना
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक बदलाव का स्वागत करते हुए, भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने शांति बिल को भारत-अमेरिका ऊर्जा साझेदारी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
अमेरिकी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि भारत का नया शांति बिल ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा और शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग को नई दिशा देगा। अमेरिका ने ऊर्जा क्षेत्र में संयुक्त नवाचार और अनुसंधान एवं विकास के लिए भारत के साथ काम करने की तत्परता भी व्यक्त की है।
यह ध्यान देने योग्य है कि शांति बिल को लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित किया जा चुका है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य भारत को परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना और वर्ष 2047 तक स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्यों को प्राप्त करना है। यह बिल स्वच्छ, भरोसेमंद और टिकाऊ ऊर्जा के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है।
शांति बिल वैश्विक परमाणु प्रशासन में भारत की अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस कानून के तहत संसाधनों की कमी को दूर करने, परियोजनाओं में लगने वाले समय को कम करने और 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता के राष्ट्रीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए जिम्मेदार निजी और संयुक्त उद्यमों की भागीदारी की अनुमति दी गई है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित से कोई समझौता नहीं किया गया है।
यह कानून परमाणु क्षेत्र में निजीकरण का रास्ता खोलता है, ठीक उसी तरह जैसे पहले अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को अनुमति दी गई थी, जिससे उल्लेखनीय विकास हुआ। हालांकि, यूरेनियम खनन एक तय सीमा से आगे पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में रहेगा। इसी तरह, इस्तेमाल किए गए परमाणु ईंधन का प्रबंधन और दीर्घकालिक भंडारण केवल सरकार की निगरानी में होगा। रणनीतिक सामग्री जैसे फिसाइल मैटीरियल, हेवी वाटर और स्रोत सामग्री पर भी सरकार का सख्त नियंत्रण बना रहेगा।
बिल में परमाणु नुकसान की परिभाषा में पर्यावरणीय और आर्थिक क्षति को भी शामिल किया गया है। स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों, अनुसंधान और नवाचार में निवेश के माध्यम से यह कानून स्वच्छ और भरोसेमंद ऊर्जा के लिए मजबूत आधार तैयार करेगा। बिजली उत्पादन के अलावा परमाणु ऊर्जा का उपयोग कैंसर उपचार, कृषि और उद्योग जैसे क्षेत्रों में भी बढ़ेगा, जिससे भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।