क्या असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों को अपनी निजी संपत्ति मानते हैं? : चिराग पासवान
सारांश
Key Takeaways
- ओवैसी का बयान मुसलमानों को निजी संपत्ति मानने का है।
- चिराग पासवान ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
- मुस्लिम समुदाय को अपनी नेतृत्व क्षमता विकसित करने की जरूरत है।
- बिहार में धर्म के आधार पर राजनीति से विकास बाधित हो रहा है।
- राजनीति में जवाबदेही की आवश्यकता है।
पटना, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी के मुसलमानों पर दिए गए बयान पर तीखा जवाब देते हुए कहा कि ओवैसी मुसलमानों को अपनी निजी संपत्ति मानते हैं। वह बिहार में आकर धर्म के आधार पर विभाजन की राजनीति और डर का माहौल बनाते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर ओवैसी ने कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अगर 3 फीसदी वाला उपमुख्यमंत्री बन सकता है, तो 17 फीसदी वाला मुस्लिम समाज से उपमुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता?
ओवैसी ने मुस्लिम समाज से अपनी नेतृत्व की क्षमता को विकसित करने की अपील की है।
चिराग पासवान ने ओवैसी के बयान पर कहा कि ये लोग मुसलमानों को अपनी निजी संपत्ति समझते हैं। वे किस अधिकार से यह कह रहे हैं कि मुसलमानों को किसे वोट देना चाहिए या किसे नहीं? मतदान एक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। ओवैसी किस प्रकार की मानसिकता को बढ़ावा दे रहे हैं, यह एक बड़ा सवाल है।
चिराग ने पूछा कि ओवैसी कब तक मुसलमानों में डर फैलाते रहेंगे? कब तक डर की राजनीति की जाएगी? मैं मुस्लिम समुदाय से कहना चाहता हूं कि आप कब तक डर की राजनीति में फंसे रहेंगे? इस डर को छोड़कर, जो सत्ता में लाना है, उसे वोट दीजिए और जवाबदेही तय कीजिए।
उन्होंने कहा कि अगर राजद की 15 साल की सरकार में मुसलमानों ने जवाबदेही तय की होती, तो आज हालात कुछ और होते।
चिराग पासवान ने एनडीए सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी सरकार सभी धर्मों को लाभकारी योजनाएं दे रही है, बिना किसी भेदभाव के। मुसलमानों को भी इन योजनाओं का लाभ मिल रहा है। ओवैसी की धर्म के नाम पर बांटने की राजनीति बिहार के लिए सही नहीं है। हम विकास की बात करते हैं। मैं हमेशा बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट की बात करता हूं।