क्या वकील अश्विनी उपाध्याय का दावा सच है कि भारत में लगभग 5 करोड़ घुसपैठिए हैं?

सारांश
Key Takeaways
- भारत में 5 करोड़ घुसपैठिए होने का दावा किया गया है।
- मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण जरूरी है।
- बिहार चुनाव पर घुसपैठियों का मतदाता के रूप में प्रभाव।
- सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
- राज्य सरकार से घुसपैठियों की मदद करने वालों पर कार्रवाई की मांग।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मध्य, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया को लेकर सियासी हलचल तेज कर दी है। इसी क्रम में, सुप्रीम कोर्ट में वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा मतदाता सूची के पुनरीक्षण के समर्थन में एक याचिका दायर की गई है। उन्होंने यह दावा किया है कि भारत में लगभग 5 करोड़ घुसपैठिए निवास कर रहे हैं। याचिका के माध्यम से उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि इस मामले पर शीघ्र सुनवाई की जाए।
मंगलवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा, “मैंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें अनुरोध किया है कि भारत के सभी राज्यों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जाए। वर्तमान में भारत में लगभग 5 करोड़ घुसपैठिए हैं, जिनमें पाकिस्तानी, अफगानिस्तानी, रोहिंग्या और बांग्लादेशी शामिल हैं। बिहार का सीमावर्ती क्षेत्र, जिसे सीमांचल कहा जाता है, वहाँ जनसांख्यिकीय बदलाव देखने को मिल रहा है। बिहार में कोई ऐसी विधानसभा नहीं बची है जहाँ घुसपैठियों के नाम वोटर लिस्ट में न हों।”
अश्विनी उपाध्याय ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनावों में कई सीटों पर जीत का अंतर हजार से दो हजार मतों का होता है। प्रत्येक सीट पर यदि 10 हजार घुसपैठिए वोट डालते हैं, तो यह बिहार के विधानसभा चुनाव पर बड़ा असर डालेगा। मैंने अपनी याचिका में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और चुनाव आयोग को पक्षकार बनाया है।
उपाध्याय ने आगे बताया कि उन्होंने कोर्ट से निवेदन किया है कि उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई की जाए। इसके जवाब में कोर्ट ने 10 जुलाई को सुनवाई के लिए समय निर्धारित किया है।
उन्होंने कहा, “मैंने राज्य सरकार से भी निवेदन किया है कि जो लोग इन घुसपैठियों की मदद कर रहे हैं, उनके खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट और यूएपीए के तहत कार्रवाई की जाए। जब तक घुसपैठियों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक वे फर्जी तरीके से वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाते रहेंगे।”