क्या प्रतिष्ठा द्वादशी पर अयोध्या में रामोत्सव की भव्य तैयारी हो रही है?
सारांश
Key Takeaways
- अयोध्या में प्रतिष्ठा द्वादशी के अवसर पर भव्य रामोत्सव का आयोजन।
- अनूप जलोटा, सुरेश वाडकर और तृप्ति शाक्य जैसे प्रसिद्ध भजन गायक होंगे उपस्थित।
- श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएँ की गई हैं।
- मंदिर निर्माण श्रमिकों का सम्मान किया जाएगा।
- सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने वाला आयोजन।
अयोध्या, १३ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में प्राण प्रतिष्ठा की द्वितीय वर्षगांठ ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के उपलक्ष्य में प्रस्तावित बहुरंगी सांस्कृतिक आयोजनों की योजना को अंतिम रूप दिया गया। अंगद टीला पर आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों में रामकथा, प्रसिद्ध भजन गायक अनूप जलोटा, सुरेश वाडकर और तृप्ति शाक्य के भजनों के साथ कथक नृत्य-नाटिका का आयोजन किया जाएगा।
बैठक की अध्यक्षता ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने की। इस बैठक में आठ सदस्यों ने ऑनलाइन और छह सदस्यों ने आमने-सामने भाग लिया। बैठक में विशेष आमंत्रित के रूप में विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश चंद्र, मंदिर निर्माण से जुड़े गोपालजी, और अंतरराष्ट्रीय श्रीराम कथा संग्रहालय के संजीव सिंह भी उपस्थित रहे।
ट्रस्ट के महामंत्री चंपतराय, सदस्य महंत दिनेन्द्र दास, कृष्ण मोहन और डॉ. अनिल मिश्र ने पत्रकारों को बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी। महामंत्री ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व जिस स्थान पर प्रभु श्रीराम विराजमान थे, वहां मंदिर के साथ ही हुतात्मा स्मारक का निर्माण किया जा रहा है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और कुंभ जैसी भीड़ की संभावनाओं को देखते हुए जूता-चप्पल रखने की समुचित व्यवस्था की गई है, जिसका एक समय में लगभग २५,००० श्रद्धालु उपयोग कर सकेंगे। यह व्यवस्था दिन में सात बार संचालित की जाएगी।
महामंत्री ने कहा कि चारदीवारी निर्माण का कार्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय से आगे बढ़ाया जा रहा है। २७ से ३१ दिसंबर तक मंडल पूजा का आयोजन होगा, जिसमें कानपुर की टोली संगीतमय अखंड पारायण करेगी। प्रभु श्रीराम के गुणगान के लिए कवियों की सहभागिता भी सुनिश्चित की गई है, जिसका संयोजन दिल्ली के जगदीश मित्तल करेंगे।
महामंत्री ने यह भी बताया कि मंदिर निर्माण में कार्यरत श्रमिकों को हिंदू नववर्ष पर १९ मार्च को आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा। ऐसे श्रमिकों की संख्या लगभग ४०० हो सकती है।
-- राष्ट्र प्रेस
विकेटी/एएसएच