क्या आयुर्वेद की रात्रिचर्या से रात की गहरी नींद और तरोताजा सुबह संभव है?

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क्या आयुर्वेद की रात्रिचर्या से रात की गहरी नींद और तरोताजा सुबह संभव है?

सारांश

क्या आप जानना चाहते हैं कि आयुर्वेद की रात्रिचर्या कैसे आपकी नींद को गहरा और सुबह को तरोताजा बना सकती है? इस लेख में जानिए सोने से पहले अपनाई जाने वाली आदतों के बारे में जो आपके जीवन में बदलाव ला सकती हैं।

Key Takeaways

  • रात का समय शरीर और मन की मरम्मत के लिए महत्वपूर्ण है।
  • सकारात्मक आदतें नींद को गहरा बना सकती हैं।
  • गुनगुने पानी से पैर धोना फायदेमंद है।
  • सोने से पहले मोबाइल का उपयोग न करें।
  • बाईं करवट सोने से पाचन बेहतर होता है।

नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। रात का समय केवल सोने का नहीं होता, बल्कि यह शरीर और मन की मरम्मत करने का भी होता है। दिनभर की भागदौड़ और तनाव से भरे मन को जब रात को विश्राम मिलता है, तभी शरीर अगली सुबह के लिए ऊर्जा जुटा पाता है। आयुर्वेद में इसे रात्रिचर्या कहा गया है। यदि हम सोने से पहले कुछ सकारात्मक आदतें अपनाते हैं, तो नींद न केवल गहरी होती है बल्कि शरीर भी स्वाभाविक रूप से स्वस्थ और तरोताजा महसूस करता है।

सोने से पहले दिनभर की चिंता और तनाव को मन से निकाल देना चाहिए। कुछ गहरी सांसें लेना और खुद को शांत करना मेंटल डिटॉक्स का काम करता है। इसके बाद गुनगुने पानी से पैर धोना बहुत लाभकारी होता है। इससे शरीर का तापमान संतुलित होता है और नींद जल्दी आती है। यदि चाहें, तो तलवों पर थोड़ा घी या नारियल तेल लगाकर हल्की मालिश करें, इससे तंत्रिका तंत्र शांत होता है और नींद गहरी होती है।

आयुर्वेद में नाभि और नाक में तेल डालने की भी सलाह दी गई है। नाभि में 2 बूंद घी या सरसों तेल डालने से पाचन में सुधार होता है और त्वचा को पोषण मिलता है। वहीं, नाक में अणु तेल या घी की कुछ बूंदें डालने से दिमाग शांत होता है और मानसिक थकान दूर होती है।

यदि आपको दूध पसंद है तो सोने से पहले हल्दी दूध, जायफल दूध या अश्वगंधा दूध पीना फायदेमंद होता है। ये शरीर को आराम देते हैं और नींद को गहरा बनाते हैं।

सोने से पहले मोबाइल, टीवी और लैपटॉप जैसी स्क्रीन बंद कर दें, क्योंकि इनसे निकलने वाली नीली रोशनी नींद के हार्मोन मेलाटोनिन को प्रभावित करती है। इसके बजाय हल्का संगीत, मंत्र या ऊँ शांति का जप सुनें, यह मन को बहुत सुकून देता है।

कमरे की रोशनी मंद रखें और वातावरण शांत बनाएं। यदि संभव हो तो चंदन या लैवेंडर की खुशबू फैलाएं, यह नींद को स्वाभाविक रूप से गहरी बनाता है। सोने से पहले प्रार्थना करना और आभार व्यक्त करना ना भूलें। यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

सोने की मुद्रा भी महत्वपूर्ण होती है। आयुर्वेद कहता है कि बाईं करवट सोना पाचन के लिए उत्तम है। सबसे अच्छा समय रात 9:30 से 10 बजे के बीच सोने का माना गया है, क्योंकि यह कफ काल होता है जो नींद को स्वाभाविक रूप से गहरा बनाता है।

Point of View

यह कहना चाहूंगा कि आयुर्वेदिक रात्रिचर्या न केवल प्राचीन ज्ञान का हिस्सा है बल्कि आधुनिक जीवन में भी इसकी प्रासंगिकता बढ़ी है। लोग अधिकतर तनाव और भागदौड़ के कारण नींद की कमी का सामना कर रहे हैं, इसलिए इन प्राचीन उपायों को अपनाना एक सकारात्मक कदम हो सकता है।
NationPress
07/11/2025

Frequently Asked Questions

रात्रिचर्या क्या है?
रात्रिचर्या आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो रात में सोने से पहले अपनाई जाने वाली आदतों को संदर्भित करता है।
क्या सोने से पहले पैर धोना आवश्यक है?
हां, गुनगुने पानी से पैर धोने से शरीर का तापमान संतुलित होता है और नींद में सुधार होता है।
बाईं करवट सोने के क्या फायदे हैं?
बाईं करवट सोने से पाचन में सुधार होता है और यह आयुर्वेद में सबसे उत्तम सोने की मुद्रा मानी जाती है।