क्या आयुर्वेद में छुपा है सेहत का खजाना? हर अंग के लिए है विशेष औषधि

सारांश
Key Takeaways
- आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है।
- यह शरीर के हर अंग के लिए विशेष औषधियों का विवरण प्रदान करता है।
- प्राकृतिक उपचार के लिए लोग आयुर्वेद की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
- हर अंग के लिए अलग-अलग औषधियों का महत्व है।
- यह मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखता है।
नई दिल्ली, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जो अन्य विकसित पद्धतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रही है। आजकल लोग प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार के लिए आयुर्वेद की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। आयुर्वेद में शरीर के हर अंग के स्वास्थ्य के लिए विशेष औषधियों और उपचारों का उल्लेख किया गया है।
बालों के लिए भृंगराज का उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। यह न केवल बालों को झड़ने से रोकता है, बल्कि उन्हें मजबूत, घने और प्राकृतिक रूप से काला बनाए रखने में मदद करता है।
त्वचा की देखभाल के लिए एलोवेरा बेहद उपयोगी है। इसके गुण त्वचा को नमी प्रदान करते हैं, उसे स्वस्थ रखते हैं और सूजन या दाग-धब्बों को कम करने में सहायक होते हैं।
हृदय स्वास्थ्य के लिए अर्जुन और तुलसी का सेवन आयुर्वेद में अति महत्वपूर्ण माना गया है। अर्जुन हृदय की धड़कन को संतुलित करता है और रक्तवाहिनियों को मजबूत बनाता है, जबकि तुलसी शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
गुड़हल पित्ताशय के लिए लाभकारी है, यह पित्त से जुड़ी समस्याओं को नियंत्रित करता है और पाचन को सुधारता है। भूमि आंवला यकृत के लिए अत्यंत उपयोगी है, यह लिवर को मजबूत बनाता है और विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है। कालमेघ अग्न्याशय, सिरा और धमनियों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
नीम, पीपल, शीशम और नीमगिलोय मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं और रक्त शुद्धि में योगदान देते हैं। ब्राह्मी और शंकपुष्पी मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए लाभकारी हैं, ये स्मृति और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाते हैं।
आंखों के लिए हरड़, बेहेड़ा और आंवला बेहद उपयोगी हैं। ये दृष्टि शक्ति को बनाए रखते हैं और आंखों से संबंधित रोगों को कम करते हैं। कान के स्वास्थ्य के लिए सुदर्शन लाभकारी है, जबकि गले के लिए मुलेठी का उपयोग किया जाता है। फेफड़ों के लिए वासा और गंभारी के उपयोग से श्वसन प्रणाली मजबूत होती है।
प्लीहा के लिए शरपुंखा लाभकारी है। आमाशय के लिए हरड़, बेहेड़ा और आंवला पेट की समस्याओं को कम करते हैं और पाचन क्रिया को सुधारते हैं। किडनी के स्वास्थ्य के लिए पुनर्नवा और गोखरू लाभकारी हैं, जो मूत्र प्रणाली को ठीक रखते हैं। मूत्राशय के लिए पलाश और गोखरू का प्रयोग लाभदायक होता है।
आयुर्वेद में घुटनों और जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए पारिजात (हार-श्रृंगार) का प्रयोग किया जाता है, जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करता है। आध्यात्मिक स्वास्थ्य और आत्मा के संतुलन के लिए एडी आक (अर्क) का प्रयोग लाभकारी माना गया है।