क्या कैबिनेट ने मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पीजी और यूजी सीटों को बढ़ाने के लिए १५,०३४.५० करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी?

सारांश
Key Takeaways
- मेडिकल कॉलेजों की पीजी सीटों में वृद्धि
- मौजूदा मेडिकल कॉलेजों का अपग्रेड
- विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या में वृद्धि
- हेल्थकेयर संसाधनों का संतुलित वितरण
- छात्रों के लिए नए अवसर
नई दिल्ली, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राज्य और केंद्र सरकार के मौजूदा मेडिकल कॉलेजों, स्वतंत्र पीजी इंस्टीट्यूट, और सरकारी अस्पतालों को सशक्त बनाने और अपग्रेड करने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के तीसरे चरण को मंजूरी दी है।
इस योजना के अंतर्गत ५,००० पीजी सीटें बढ़ाई जाएंगी और मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के अपग्रेड के लिए सीएसएस का विस्तार किया जाएगा, जिससे ५,०२३ एमबीबीएस सीटें बढ़ेंगी। प्रति सीट की लागत सीमा बढ़ाकर १.५० करोड़ रुपए कर दी गई है।
इन दोनों योजनाओं का कुल वित्तीय व्यय २०२५-२६ से २०२८-२९ के बीच १५,०३४.५० करोड़ रुपए होगा, जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा १०,३०३.२० करोड़ रुपए और राज्य सरकार का हिस्सा ४,७३१.३० करोड़ रुपए होगा।
पीएम मोदी ने २०२४ में स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में कहा था कि सरकार देश के हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को सशक्त करने के लिए अगले पांच वर्षों में ७५,००० नई मेडिकल सीटें बनाएगी।
वर्तमान में दुनिया में सबसे अधिक, भारत में ८०८ मेडिकल कॉलेज हैं, जिनकी कुल क्षमता १,२३,७०० एमबीबीएस सीटें हैं।
पिछले १० वर्षों में देश में ६९,३५२ नई एमबीबीएस सीटें जोड़ी गईं, जो १२७ प्रतिशत की वृद्धि है। इसी अवधि में ४३,०४१ पीजी सीटें भी जोड़ी गईं, जो १४३ प्रतिशत की वृद्धि है।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में हेल्थकेयर की मांग, पहुंच और किफायती दरों को पूरा करने के लिए क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।
कैबिनेट ने कहा कि इस पहल से अंडरग्रेजुएट मेडिकल क्षमता में वृद्धि होगी, पीजी सीटों की संख्या बढ़ाने से विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता में सुधार होगा और सरकारी मेडिकल संस्थानों में नई विशेषज्ञता की शुरुआत हो सकेगी। कुल मिलाकर, इस पहल के साथ देश में डॉक्टरों की कुल उपलब्धता में मजबूती आएगी।
यह मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग कर लागत प्रभावी तरीके से हेल्थकेयर संसाधनों का संतुलित क्षेत्रीय वितरण सुनिश्चित करेगा।
इसका उद्देश्य भारत में मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रों को अधिक अवसर प्रदान करना, वैश्विक मानकों के अनुरूप मेडिकल शिक्षा और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करना और डॉक्टरों और विशेषज्ञों की उपलब्धता बढ़ाना है।
विशेष रूप से, इस पहल से डॉक्टरों, फैकल्टी, पैरामेडिकल स्टाफ, शोधकर्ताओं, प्रशासकों और सपोर्ट सेवाओं के रूप में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।