क्या उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की ईडीसी समितियों ने चेक लौटाए? भेदभाव का आरोप

सारांश
Key Takeaways
- भेदभाव के आरोपों का मामला गरमा गया है।
- ईडीसी समितियों ने चेक लौटाए हैं।
- प्रशासन ने पुनर्वितरण का आश्वासन दिया है।
- कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में स्थानीय समुदायों का असंतोष बढ़ रहा है।
- वन्यजीव-मानव संघर्ष को कम करना जरूरी है।
रामनगर, 24 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) प्रशासन द्वारा ईको-डेवलपमेंट कमेटियों (ईडीसी) को वितरित की गई 90 लाख रुपए से अधिक की धनराशि अब विवादों का विषय बन गई है। यह राशि गाँवों में वन्यजीवों से होने वाली क्षति की भरपाई और विकास कार्यों के लिए दी गई थी, लेकिन वितरण में कथित भेदभाव के आरोपों से मामला गरमा गया है। बुधवार को रामनगर के पांच प्रभावित गाँवों के ईडीसी अध्यक्षों ने अपने चेक लौटाते हुए पार्क प्रशासन का घेराव किया।
प्रदर्शन कर रहे ईडीसी अध्यक्षों ने आरोप लगाया कि सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों को नजरअंदाज कर शहरी या कम प्रभावित समितियों को अधिक राशि दी गई है। ईडीसी अध्यक्ष ओमप्रकाश गोड़ ने बताया, "उनके क्षेत्र में जंगली हाथी, बाघ और अन्य वन्यजीवों से फसलों को भारी नुकसान होता है। बावजूद इसके, उन्हें केवल 1.48 लाख रुपए का चेक मिला, जबकि चोरपानी क्षेत्र की ईडीसी, जो अब नगर पालिका सीमा में आ चुकी है और जहाँ वन्यजीव क्षति अपेक्षाकृत कम है, को 11.06 लाख रुपये आवंटित किए गए।"
उन्होंने सवाल उठाया, "जब चोरपानी नगर पालिका का हिस्सा बन चुका है, तो वहाँ की समिति को इतनी बड़ी राशि क्यों? वहीं, एक अन्य समिति, जो गाँवों के बीच स्थित है और जहाँ क्षति न्यूनतम है, उसे 6.5 लाख रुपए दिए गए। हमारा क्षेत्र जंगल से घिरा है, जहाँ रोजाना संघर्ष होता है, फिर भी हमें डेढ़ लाख ही?" उन्होंने इसे 'स्पष्ट भेदभाव' करार देते हुए चेतावनी दी कि जब तक वास्तविक प्रभावित गाँवों को उचित हिस्सा न मिले, चेक स्वीकार नहीं किया जाएगा।
पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने स्थिति को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "ईडीसी को पर्यटन से प्राप्त राजस्व का हिस्सा दिया जाता है, ताकि क्षति भरपाई और विकास कार्य संभव हों। कुछ समितियों ने चेक लौटाए और ज्ञापन सौंपा है। हम उनकी मांगों पर विचार कर रहे हैं। बजट उपलब्ध होते ही समाधान निकाला जाएगा।"
उन्होंने आश्वासन दिया कि पारदर्शी जांच के बाद पुनर्वितरण किया जाएगा, लेकिन ईडीसी नेताओं ने इसे 'खानापूर्ति' बताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की।
बता दें कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बसे ग्रामीणों में लंबे समय से असंतोष है। सीटीआर, जो उत्तराखंड के नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल जिलों में फैला है, भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान है और यहाँ बंगाल टाइगर की घनत्व विश्व में सबसे अधिक है। ईडीसी समितियां पर्यटन राजस्व से हिस्सा पाकर वन्य जीव-मानव संघर्ष को कम करने का काम करती हैं, लेकिन असमान वितरण से स्थानीय समुदायों में असंतोष बढ़ रहा है।