क्या विस्टाडोम सफारी में बच्चों को नेचर क्लास का अनुभव मिला?
सारांश
Key Takeaways
- बच्चों को प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने का अवसर मिला।
- सफारी ने वन्यजीव संरक्षण के महत्व को बताया।
- शिक्षकों ने बच्चों को सरल भाषा में जानकारी दी।
- विस्टाडोम ट्रेन का अनुभव अद्वितीय रहा।
- इस पहल ने जिम्मेदार पर्यटन के प्रति जागरूकता बढ़ाई।
लखनऊ, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड ने शनिवार को लखनऊ के गवर्नमेंट इंटर जुबिली कॉलेज के करीब 40 छात्रों को दुधवा की विस्टाडोम ट्रेन सफारी का रोमांचक अनुभव प्रदान किया। यह यात्रा युवाओं को प्रकृति, वन्यजीव संरक्षण और जिम्मेदार पर्यटन से जोड़ने की दिशा में बोर्ड का एक महत्वपूर्ण कदम है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि विस्टाडोम सफारी नेचर लर्निंग के साथ बच्चों में जिम्मेदार पर्यटक बनने की सोच विकसित कर रही है। बोर्ड की इस विशेष पहल के तहत लखनऊ से बिछिया पहुंचे छात्रों में उत्साह देखते ही बनता था। इंटरप्रिटेशन सेंटर पर वन धरोहर, फॉरेस्ट कॉरिडोर के नियमों और क्षेत्र की जैव-विविधता पर विशेषज्ञों की ब्रीफिंग ने यात्रा को और रोचक बना दिया। रेल मार्ग के इतिहास से लेकर वन्यजीवों के व्यवहार तक—इन जानकारियों ने बच्चों के सीखने के दायरे को कक्षा से बाहर नई दिशा दी।
विस्टाडोम कोच में सवार होते ही रोमांच ने नई उड़ान भरी। पारदर्शी शीशों और पैनोरमिक व्यू वाले इस विशेष कोच ने विद्यार्थियों को जंगल की हरियाली, घने साये, जलाशयों और वन्यजीवों को बेहद करीब से देखने का अवसर दिया। यह यात्रा कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य की सीमा से होते हुए दुधवा नेशनल पार्क के प्रवेश क्षेत्र तक पहुंची, जो बाघ, गैंडा, हाथी, बारहसिंघा और घड़ियाल सहित 450 से अधिक पक्षी प्रजातियों का घर है। धीमी गति से चलती ट्रेन ने पर्यावरण को गहराई से देखने-समझने का मौका दिया।
बच्चों ने विस्टाडोम के व्यूइंग जोन से वन गलियारों और आर्द्रभूमि को नजदीक से महसूस किया। शिक्षकों ने भी इस दौरान जीव-जंतुओं के व्यवहार, पक्षियों की आवाजों और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन जैसे पहलुओं को सरल भाषा में समझाया। वापसी में छात्र मोहित पाल और अंकित विश्वकर्मा ने बताया कि पहली बार जंगल का इतना सुंदर और करीब से देखा गया स्वरूप उनके लिए अविस्मरणीय रहेगा। छात्रों ने कहा कि ऐसा लगा मानो ट्रेन किसी चलती तस्वीर के बीच से गुजर रही हो।
मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि ईको टूरिज्म बोर्ड आगे भी ऐसे नवाचार जारी रखेगा ताकि बच्चों में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और समझ विकसित हो सके। विस्टाडोम जैसी यात्राएं युवा पीढ़ी को किताबों से परे वास्तविक दुनिया से जोड़कर उन्हें भविष्य के संवेदनशील और जिम्मेदार पर्यटक बनने की दिशा में मार्गदर्शन देती हैं। उल्लेखनीय है कि विस्टाडोम ट्रेन सेवा शनिवार और रविवार को संचालित होती है। बाल दिवस के अवसर पर 15 नवंबर को छात्रों को यह विशेष अनुभव प्रदान किया गया।
-- राष्ट्र प्रेस
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