क्या बांग्लादेश में हिन्दुओं की हत्या के पीछे आईएसआई का हाथ है: मौलाना साजिद रशीदी?
सारांश
Key Takeaways
- मौलाना साजिद रशीदी ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार की निंदा की।
- उन्होंने आईएसआई पर आरोप लगाया कि वह हिन्दुओं की हत्या में शामिल है।
- पूर्व पीएम शेख हसीना की आलोचना की गई।
- हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा गंभीर है।
- विदेश मंत्रालय की निंदा को सकारात्मक कदम बताया गया।
नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मौलाना साजिद रशीदी ने बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हो रही हिंसा की कड़ी निंदा की है। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश में हिन्दुओं की हत्या के पीछे आईएसआई का हाथ है।
मौलाना ने पूर्व पीएम शेख हसीना के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि शेख हसीना के कार्यकाल में 1400 हिन्दुओं की हत्या हुई है; वह किस मुंह से वर्तमान सरकार की आलोचना कर रही हैं?
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मौलाना ने कहा कि बांग्लादेश के मुद्दे पर शेख हसीना केवल राजनीति कर रही हैं; यह सियासी लोगों का काम है। अगर वह साफ-सुथरी हैं तो अपने देश में जाइए, और जो भी मामले हैं, उन्हें संभालिए। बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, उसकी निंदा की जानी चाहिए।
उन्होंने इल्तिजा मुफ्ती के 'लिंचिस्तान' वाले बयान पर कहा कि महबूबा मुफ्ती वही हैं जिन्होंने भाजपा के साथ सरकार बनाई। ज्यादा बातें करना भाजपा को ही शोभा देंगे। लेकिन, देश के लिए इस प्रकार की बातें करना सही नहीं है। हमें अपने लोगों की आवाज उठानी चाहिए। मुल्क को 'लिंचिस्तान' कहना गलत है। यदि कुछ लोग लिंचिंग कर रहे हैं, तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
पीएम मोदी को लेकर शशि थरूर के बयान पर उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल सही है। पीएम मोदी किसी समुदाय या पार्टी के नहीं, बल्कि देश के पीएम हैं। विदेश नीति देश को ध्यान में रखकर बनाई जाती है, यह किसी पार्टी का मेनिफेस्टो नहीं होता। सच्चाई यह है कि बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, उसे आईएसआई संभाल रही है। 1971 का बदला बांग्लादेश से लिया जा रहा है। हिन्दुओं की हत्या के पीछे आईएसआई का हाथ है, इसे सरकार को नहीं भूलना चाहिए।
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर विदेश मंत्रालय द्वारा की गई निंदा पर मौलाना साजिद रशीदी ने कहा कि यह एक अच्छा कदम है और ऐसा होना ही चाहिए था। बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह शर्मनाक और निंदनीय है; हालांकि, इसकी जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है।