क्या सीबीआई कोर्ट ने बैंक फ्रॉड मामले में दोषियों को सजा सुनाई?
सारांश
Key Takeaways
- बैंक फ्रॉड के मामले में सीबीआई का कड़ा एक्शन
- दोषियों को तीन साल की सजा
- कंपनी पर जुर्माना
- बैंक को हुआ 8.48 करोड़
- साजिशधोखाधड़ी
अहमदाबाद, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अहमदाबाद की सीबीआई कोर्ट ने बैंक फ्रॉड के एक गंभीर मामले में छह लोगों और सूरत की एक निजी कंपनी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। यह फैसला शुक्रवार को सुनाया गया। कोर्ट ने सभी दोषियों को तीन साल की जेल और प्रत्येक पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। इसके अतिरिक्त दोषी ठहराई गई कंपनी पर भी 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया।
कोर्ट ने जल्पा एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और इसके निदेशकों संजय नागजीभाई पटेल, संगीता संजय पटेल, गारंटर सतीश नागजीभाई दवारा और गारंटर नानुभाई अर्जनभाई मोराडिया के साथ-साथ श्री राम वीव टेक के निदेशक विपुल नरोत्तमभाई रामानुज और मितुल डी. वाघसिया को भी दोषी माना।
सीबीआई ने यह मामला 1 अप्रैल 2017 को दर्ज किया था। आरोप था कि कंपनी के निदेशकों संजय नागजीभाई पटेल और संगीता पटेल ने बैंक ऑफ बड़ौदा, सूरत की एसएमई लोन फैक्ट्री में 14.90 करोड़ रुपए का लोन लेने के लिए आवेदन किया। इसमें 12.90 करोड़ रुपए का टर्म लोन और 2 करोड़ रुपए का कैश क्रेडिट शामिल था। लोन के लिए कंपनी ने अपने प्लांट, मशीनरी, स्टॉक और बुक डेब्ट्स को गिरवी रखा था।
जांच में यह पता चला कि आरोपियों ने लोन की राशि का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए नहीं किया, जिसके लिए बैंक ने उन्हें धन मुहैया कराया था। इसके बजाय, उन्होंने बैंक की राशि का दुरुपयोग अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए किया। इस धोखाधड़ी के कारण बैंक ऑफ बड़ौदा, एसएसआई साचिन शाखा, सूरत को लगभग 8.48 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
सीबीआई ने जांच पूरी होने के बाद 30 दिसंबर 2017 को चार्जशीट दाखिल की। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद पाया कि सभी ने साजिश रची और बैंक को धोखा दिया, इसलिए उन्हें दोषी ठहराया गया। इस दौरान, एक आरोपी शैलेश भिखाभाई सतासिया (श्री काली यम के निदेशक) का ट्रायल के बीच निधन हो गया था।